भारतीय रिजर्व बैंकः कटे-फटे और पुराने नोट को क्या करता है आखिर आरबीआई?, केंद्रीय बैंक ने सलाना रिपोर्ट में किया खुलासा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 30, 2025 13:23 IST2025-05-30T13:22:33+5:302025-05-30T13:23:27+5:30
Reserve Bank of India: आरबीआई ने 2024-25 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में सालाना उत्पादित बैंक नोट के टुकड़ों या उससे बने ब्रिकेट (टुकड़ों को मिलाकर बनाया गया ब्लॉक) का कुल वजन 15,000 टन रहा है।

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मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक कागजी नोट के निपटान को और अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए कदम उठा रहा है। इसके तहत आरबीआई लकड़ी के बोर्ड (पार्टिकल बोर्ड) बनाने में कटे-फटे बैंक नोट का इस्तेमाल करेगा। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) ने इस प्रकार का बोर्ड बनाने वालों को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आरबीआई ने 2024-25 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि भारत में सालाना उत्पादित बैंक नोट के टुकड़ों या उससे बने ब्रिकेट (टुकड़ों को मिलाकर बनाया गया ब्लॉक) का कुल वजन 15,000 टन रहा है।
केंद्रीय बैंक इसके निपटान के लिए हरित विकल्पों की तलाश में है। परंपरागत रूप से, अधिकांश केंद्रीय बैंक और मुद्रा प्रबंधन से जुड़े अन्य प्राधिकरण कटे हुए बैंक नोट का निपटान जमीन भरने या ईंधन के रूप में उसे जलाने में करते हैं, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने कुछ वैकल्पिक समाधान की तलाश के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्त निकाय, काष्ठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से एक अध्ययन कराया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘अध्ययन से पता चला है कि फटे-पुराने नोट से बने ब्लॉक लकड़ी के बोर्ड की तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।’’
केंद्रीय बैंक पार्टिकल बोर्ड विनिर्माताओं को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की है। ये विनिर्माता अपने बोर्ड में लकड़ी के कणों की जगह अंतिम उपयोग के लिए ब्रिकेट खरीदेंगे। मुद्रा प्रबंधन विभाग बैंक नोट के टुकड़ों/ब्रिकेट्स के निपटान के लिए अधिक पर्यावरण-अनुकूल तरीके खोजने की दिशा में अपनी पहल को ‘सक्रिय रूप से आगे बढ़ाएगा।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकनोट में लगने वाले सुरक्षा धागे और फाइबर, सुरक्षा स्याही तथा छपाई में उपयोग किए जाने वाले अन्य रसायन पर्यावरण पर प्रभाव डालते हैं। इसीलिए इसके निपटान को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाये जाने की जरूरत है।