Reserve Bank of India: खाते को धोखाधड़ी में डालिए, लेकिन कर्जदार से पूछिए और बात कीजिए, आरबीआई ने किया संशोधन, सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश, जानें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 15, 2024 21:13 IST2024-07-15T21:12:23+5:302024-07-15T21:13:06+5:30
Reserve Bank of India: पूरी संचालन व्यवस्था और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की निगरानी में निदेशक मंडल की भूमिका को मजबूत करते हैं।

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Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर उच्चतम न्यायालय की सिफारिशों को शामिल करने के लिए मूल दिशानिर्देश में संशोधन किया। न्यायालय ने अपने आदेश में बैंकों से खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने से पहले कर्जदारों की बात सुनने को कहा था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर तीन संशोधित मूल दिशानिर्देश सिद्धांत-आधारित हैं। ये पूरी संचालन व्यवस्था और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन की निगरानी में निदेशक मंडल की भूमिका को मजबूत करते हैं।
आरबीआई ने बयान में कहा, ‘‘मूल निर्देशों में अब स्पष्ट रूप से जरूरी है कि केंद्रीय बैंक के दायरे में आने वाली इकाइयां (विनियमित संस्थाएं) उच्चतम न्यायालय के 27 मार्च, 2023 के फैसले को ध्यान में रखते हुए व्यक्तियों/संस्थाओं के खातों को धोखाधड़ी की श्रेणी में रखने से पहले समयबद्ध तरीके से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन सुनिश्चित करें।’’
उल्लेखनीय है कि एसबीआई बनाम राजेश अग्रवाल मामले में, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने किसी खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में डालने से पहले कर्ज लेने वाले की बातों को सुने जाने के उसके अधिकारों की वकालत की। बयान के अनुसार, ‘‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत कर्जदारों को नोटिस दिया जाना चाहिए, फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों को समझाने का अवसर दिया जाना चाहिए और उनके खाते को मास्टर निर्देशों के तहत धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले संबंधित बैंकों को उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’
आरबीआई ने कहा कि उसके दायरे में आने वाली इकाइयों में धोखाधड़ी का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम करने तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों और पर्यवेक्षकों को समय पर सूचना देने के लिए प्रारंभिक चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) और खातों में गड़बड़ी के बारे में अवगत कराने को लेकर चीजें और दुरुस्त की गयी हैं। इसमें कहा गया है कि निर्देश में वित्तीय संस्थानों में मजबूत आंतरिक लेखापरीक्षा और नियंत्रण ढांचा स्थापित करने की जरूरत भी बतायी गयी है।