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रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 9.5 प्रतिशत किया

By भाषा | Updated: June 4, 2021 13:29 IST

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मुंबई, चार जून रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोरोना वायरस महामारी की खतरनाक दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देते हुये ब्याज दरों को मौजूदा रिकार्ड निम्न स्तर पर बनाये रखा। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखा और कहा कि वह सभी पक्षों के वास्ते अनुकूल वित्तीय परिस्थितियां बनाये रखने के लिये काम करता रहेगा।

रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों में लगाये लॉकडाउन को देखते हुये चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को भी पहले के 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के छह सदस्यों ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मत दिया। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा और बैंक दर भी 4.25 प्रतिशत पर पूर्ववत रखी गई हैं।

रेपो दर में यथास्थिति के चलते उपभोक्ताओं के लिये विभिन्न कर्जों पर ब्याज दरों में किसी बदलाव की भी उम्मीद नहीं है।

मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद दास ने कहा, ‘‘एमपीसी का मानना है कि 2021 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों की जो रफ्तार बनी थी उसे फिर से हासिल करने के लिये इस समय चारों तरफ से नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। हमें आर्थिक क्षेत्र में जो बेहतर शुरुआत हुई थी उसे आगे बढ़ाना है।’’

दास ने दरों में और कटौती की गुंजाइश का संकेत देते हुये कहा कि यह तय किया गया कि अर्थव्यवस्था पर कोविड- 19 के प्रभाव को कम करने और लंबे समय तक वृद्धि को बनाये रखने के वास्ते जब तक जरूरी होगा मौद्रिक नीति का रुख उदार रखा जायेगा।

बाजार में कर्ज लागत पर अंकुश बनाये रखने के लिये उसने मात्रात्मक नरमी के रुख का विस्तार किया है। उसने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) 2.0 के तहत वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। इससे बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा। इससे पहले अप्रैल में रिजर्व बैंक ने बाजार से एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने की प्रतिबद्धता जताई थी। अप्रैल और मई में जी-सैप 1.0 के तहत रिजर्व बैंक इसी महीने 40 हजार करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा।

रिजर्व बैंक की इस पहल का मकसद बाजार में दरों को निम्न स्तर पर बनाये रखना है और साथ ही सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम के लिये ब्याज दरों को अनुकूल स्तर पर रखना भी है।

दास ने कहा कि 2021- 22 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। हालांकि, उसने कहा है कि मौजूदा लॉकडाउन के दौर के बीच आपूर्ति अड़चनें बढ़ने और जिंसों के ऊंचे दाम से इसके बढ़ने का जोखिम भी है।

रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही कोविड- 19 से बुरी तरह प्रभावित होटल और पर्यटन उद्योग को कर्ज देने के लिये बैंकों को 15,000 करोड़ रुपये तक उठाने को कहा है। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों (एमएसएमई) को कर्ज देने के वास्ते भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को 16,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तपोषण देने का फैसला किया गया है। यह राशि अप्रैल में घोषित 50,000 करोड़ रुपये की राशि से अलग है।

कोविड- 19 से प्रभावित व्यवसायों की मदद के लिये हाल में घोषित कर्ज पुनर्गठन सुविधा खिड़की का विस्तार 50 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाले सभी उद्यमों के लिये कर दिया गया है।

रिजर्व बैंक ने पिछले साल मार्च के बाद से अब तक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की है। इसके परिणामस्वरूप ब्याज दरें रिकार्ड निम्न स्तर पर आ गई हैं।

दास ने कहा कि कोविड- 19 की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में आर्थिक गतिविधियों पर असर नियंत्रित दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें आवागमन प्रतिबंध क्षेत्रीय आधार पर रहा है जबकि पहली लहर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण गतिविधियां थम गईं थी।

दास ने कहा, ‘‘बीते साल में रिजर्व बैंक महामारी से ध्वस्त अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को बचाने में लगा रहा। पहली लहर, लहरों के बीच की अवधि और अब दूसरी लहर में हम लगातार निगरानी रखे हुये हैं। हम सभी पक्षों के लिये अनुकूल वित्तीय परिस्थितियां, वित्तीय स्थायित्व बनाये रखने की अपनी प्रतिबद्धता का पूरी लगन और मेहनत के साथ पालन कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण और उससे होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि से अर्थव्यवस्था में सुधार की जो शुरुआत हुई थी उसे झटका दिया है, हालांकि, यह अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, वृद्धि की हलचल अभी जीवत है। ‘‘हम लीक से हटकर सोच और काम करते रहेंगे और बुरे समय की योजना बनाने के साथ ही बेहतर भविष्य के लिये आगे बढ़ते रहेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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