रिजर्व बैंक ने लिया एक्शन, शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक पर 40 लाख रुपये का जुर्माना
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 28, 2021 13:48 IST2021-04-28T13:47:19+5:302021-04-28T13:48:10+5:30
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा ‘निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली पर धोखाधड़ी दिशानिर्देश की समीक्षा’ में शामिल नियामकीय निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लगाया गया है।

हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक पर 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक पर 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
यह जुर्माना नाबार्ड द्वारा जारी कुछ नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि जुर्माना राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा ‘निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली पर धोखाधड़ी दिशानिर्देश की समीक्षा’ में शामिल नियामकीय निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लगाया गया है।
इस संदर्भ में राज्य सहकारी बैंक को नोटिस जारी किया गया था। बैंक के जवाब पर विचार करने और व्यक्तिगत सुनवाई का मौका देने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि बैंक पर आरोप महत्वपूर्ण है और उस पर जुर्माना लगाये जाने की जरूरत है।
आरबीआई ने बैंकों, एनबीएफसी के लिए सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बैंकों और आवास ऋण देने वाली कंपनियों सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के दिशानिर्देश जारी किए। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के लिए सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश वित्त वर्ष 2021-22 और उसके बाद लागू होंगे।
हालांकि, जमाएं नहीं लेने वाली 1,000 करोड़ रुपये से कम की परिसंपत्ति वाली एनबीएफसी के पास मौजूदा प्रक्रिया को जारी रखने का विकल्प होगा। शहरी सहकारी बैंकों को एससीए/ एस की नियुक्ति के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से वार्षिक आधार पर स्वीकृति लेनी होगी।
चूंकि शहरी सहकारी बैंकों और गैस बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए पहली बार इस व्यवस्था में लाया जा रहा है इस लिए उनको उचित सयम देने के लिए उन पर यह व्यवस्था अपनाने को 2021-22 के उत्तरार्ध से अपनाने की छूट होगी।