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आरबीआई गर्वनर नहीं वित्त मंत्री ही होता है 'बॉस', 'गिव ऐंड टेक' वाला है मामला : मनमोहन सिंह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 7, 2018 11:30 IST

RBI vs Govt: मनमोहन सिहं, जो आरबीआई के पूर्व गर्वनर भी रह चुके हैं, उनका ये बयान अभी की मौजूदा स्थिति पर बिल्कुल सही बैठता है। नरेन्द्र मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच का विवाद इतना बढ़ गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की बात सामने आने लगी है।

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दो को लेकर इन दिनों टकराव चल रहा है। रिजर्व बैंक (RBI) के गर्वनर और वित्त मंत्री में इन दिनों कलह देखने को मिल रहा है। इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह का एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। मनमोहन सिंह के मुताबिक, आरबीआई गर्वनर नहीं बल्कि वित्त मंत्री ही 'बॉस' होता है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मनमोहन सिंह ने अपनी बेटी दमन सिंह की किताब 'स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन गुरुशरण' में लिखा था, वित्त मंत्री का औदा हमेशा से ही आरबीआई के गवर्नर से ऊपर होता है और इसे किसी भी कीमत पर खारिज नहीं किया जा सकता। बता दें कि यह किताब पहली बार वर्ष 2014 में प्रकाशित हुई थी। 

इस किताब में आरबीआई में अपने दिनों को याद करते हुए मनमोहम सिंह लिखते हैं, ''यह हमेशा ही  गिव ऐंड टेक ( Give And Take) जैसा मामला होता है। मुझे कोई भी फैसला लेने से पहले सरकार को अपने विश्वास में लेना होता था।  वित्त मंत्री से ऊपर रिजर्व बैंक का गर्वनर कभी नहीं हो सकता है। मैंने ऐसा कभी नहीं देखा कि रिवर्ज बैंक का गर्वनर वित्त मंत्री के आदेश को किसी भी कीमत पर टाल दे। अगर वह अपनी नौकरी गंवाना चाहता है को ऐसा कर सकता है।''

इस किताब में मनमोहन सिंह ने 1983 में इंदिरा गांधी की सरकार में रिजर्व बैंक गवर्नर रहते हुए, जिन दिक्कत और परेशानियों का सामना किया था, उसी के बारे में बताया है। मनमोहन सिंह ने इस किताब में यह भी बताया है कि कैसे वह एक बार  रिजर्व बैंक की स्वायत्तता बैंकों को लाइसेंस देने के मामले में अपने पद से इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे थे। 

मनमोहन सिहं, जो आरबीआई के पूर्व गर्वनर भी रह चुके हैं, उनकी ये किताब में कही बात अभी की मौजूदा स्थिति पर बिल्कुल सही बैठता है। नरेन्द्र मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच का विवाद इतना बढ़ गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की बात सामने आने लगी है। हालांकि इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि उर्जित पटेल कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

सार्वजनिक तौर पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफत में बोलते नजर आ चुके हैं। 

RBI vs Govt: क्या है इस विवाद में आरबीआई और सरकार का पक्ष

सरकार बैंकों में त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की रूपरेखा से लेकर नकदी प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक से असहमत है। सबसे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये यह दावा किया गया कि सरकार और आरबीआई के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। इसी बीच आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का बयान सामने आया। आचार्य ने सरकार को चेतावनी दी कि केंद्रीय बैंक की स्‍वायत्तता को हल्‍के में लेना विनाशकारी हो सकता है, जिसके बाद ये पूरा मामला गर्मा गया। 

विरल आचार्य ने कहा, 'जो सरकारें केंद्रीय बैंक की स्‍वायत्तता का आदर नहीं करतीं, उन्‍हें आज नहीं तो कल बाजार की नाराजगी और आर्थिक आग की आंच झेलनी पड़ती है. इसके बाद वे उस दिन को कोसेंगे जब उन्‍होंने महत्‍वपूर्ण नियामक संस्‍थान की अनदेखी की थी।'

उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रुप देखा जा रहा है।

उर्जित पटेल ने गवर्नर बनने के बाद पिछले दो साल में आरबीआई ने कई फैसले लिए हैं। जिसमें  बैड लोन के मामलों को दिवालिया अदालत में भेजने के साथ एक दिन के डिफॉल्ट पर बैंकों के लोन रेजॉलुशन पर काम शुरू करने जैसे फैसले शामिल हैं। प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क के तहत कई सरकारी बैंकों पर कार्रवाई की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस तरह के फैसले और कई नियमों के लागू होने के बाद से इंडस्ट्री नाराज है। 

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