RBI Policy Meeting 2025: आखिरकार 5 साल बाद राहत की फुहार?, रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत किया, जानिए आरबीआई मौद्रिक नीति की 13 मुख्य बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 7, 2025 13:05 IST2025-02-07T13:04:07+5:302025-02-07T13:05:29+5:30

RBI Policy Meeting 2025 Live: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की।

RBI Policy Meeting 2025 Live Finally relief after 5 years Repo rate reduced 0-25 percent to 6-25 percent know 13 main things RBI monetary policy | RBI Policy Meeting 2025: आखिरकार 5 साल बाद राहत की फुहार?, रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत किया, जानिए आरबीआई मौद्रिक नीति की 13 मुख्य बातें

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HighlightsRBI Policy Meeting 2025: वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।RBI Policy Meeting 2025: चालू वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत पर रहने के अनुमान को बरकरार रखा है।RBI Policy Meeting 2025: खुदरा मुद्रास्फीति अगले वित्त वर्ष में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

RBI Policy Meeting 2025 Live: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगभग पांच साल बाद रेपो दर में कटौती की है। इससे पहले मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया गया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।

RBI Policy Meeting 2025 Live: आरबीआई की मौद्रिक नीति की मुख्य बातें-

* रेपो दर (अल्पकालिक उधार दर) 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत की गई।

* पांच साल के अंतराल के बाद पहली बार रेपो दर में कटौती की गई; पिछली कटौती मई, 2020 में हुई थी।

* ‘तटस्थ’ मौद्रिक नीति रुख जारी रहेगा।

* वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान।

* वित्त वर्ष 2025-26 में मुद्रास्फीति घटकर 4.2 प्रतिशत पर आने का अनुमान। चालू वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत रहने की संभावना।

* खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद।

* मुख्य मुद्रास्फीति में वृद्धि की उम्मीद, लेकिन यह मध्यम रहेगी।

* बैंकों का विशेष इंटरनेट डोमेन ‘बैंक डॉट इन’, जबकि गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए ‘फिन डॉट इन’ होगा।

* आरबीआई ने वैश्विक आर्थिक पृष्ठभूमि को चुनौतीपूर्ण बताया।

* भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत व जुझारू बनी हुई है।

* चालू खाते के घाटे के टिकाऊ स्तर के भीतर बने रहने की उम्मीद।

* 31 जनवरी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब अमेरिकी डॉलर था।

* मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक सात-नौ अप्रैल को होगी।

रेपो दर दो साल से 6.50 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है। आरबीआई के गवर्नर ने संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि छह सदस्यीय समिति ने आम सहमति से रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कमी आने की उम्मीद है। इसके साथ, एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ बनाये रखने का निर्णय किया है।

आरबीआई का अनुमान, अगले वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगले वित्त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का शुक्रवार को अनुमान लगाया। यह 31 मार्च, 2025 को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित 6.4 प्रतिशत से अधिक है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने चालू वित्त वर्ष के लिए आखिरी और अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि रबी फसल की अच्छी संभावनाओं तथा औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित सुधार से 2025-26 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

उन्होंने कहा कि मांग पक्ष के प्रमुख चालकों में केंद्रीय बजट 2025-26 में कर राहत से घरेलू खपत मजबूत रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद बजट 2025-26 में उपभोग को बढ़ावा देने के लिए मध्यम वर्ग को अबतक की सबसे बड़ी आयकर छूट प्रदान करने की घोषणा की है।

चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर अवधि में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी, जबकि आरबीआई ने स्वयं सात प्रतिशत का अनुमान लगाया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उच्च क्षमता उपयोग स्तर, वित्तीय संस्थानों व कंपनियों के बेहतर बही-खाते और सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर दिए जाने से स्थिर निवेश में सुधार की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत और तीसरी तथा चौथी तिमाही में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। जोखिम दोनों ओर समान रहेगा।’’

संसद में पिछले सप्ताह पेश आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी बातों के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, हालांकि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक व विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन की आवश्यकता होगी। चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो दशकीय औसत के करीब है।

आरबीआई का अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी की उम्मीद के बीच अगले वित्त वर्ष (2025-26) में खुदरा महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। वहीं चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि आपूर्ति के मार्चे पर किसी झटके की आशंका नहीं है। इसके साथ, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों के दाम में नरमी तथा रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाओं को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह मध्यम स्तर पर रहेगी।

मल्होत्रा ने कहा कि दूसरी तरफ ऊर्जा के दाम में अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों में जारी अनिश्चितता को देखते हुए मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अपनी पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा, ‘‘अगले साल मानसून सामान्य रहने के अनुमान के साथ 2025-26 में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में इसके 4.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।’’

आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में 2024-25 के लिए सकल मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। चौथी तिमाही में इसके 4.5 प्रतिशत पर रहने की संभावना जतायी गयी थी। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत तथा दूसरी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई है। इसका मुख्य कारण सब्जियों सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी आना है। नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत पर थी। जुलाई-अगस्त के दौरान यह औसतन 3.6 प्रतिशत थी। उसके बाद सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्टूबर, 2024 में 6.2 प्रतिशत हो गई। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक कुल मुद्रास्फीति में सब्जियों और दालों का योगदान 32.3 प्रतिशत था।

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