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आरबीआई नीतिगत दर को रख सकता है यथावत, आर्थिक वृद्धि अनुमान में संशोधन की उम्मीद: उद्योग विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: December 3, 2020 19:19 IST

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मुंबई, तीन दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक शुक्रवार को पेश की जाने वाली अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रख सकता है। हालांकि, केंद्रीय बैंक सितंबर तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये वृद्धि दर के अपने अनुमान को जरूर संशोधित कर सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ऊंची बने रहने के कारण केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती से परहेज कर सकता है। खुदरा महंगाई दर आरबीआई के संतोषजनक स्तर 4 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।

हालांकि, केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर सकता है। इसका कारण दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में जीडीपी में गिरावट कम होकर केवल 7.5 प्रतिशत रहना है जो विभिन्न अनुमानों की तुलना में बेहतर है।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। इसमें चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 9.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान रखा गया था।

वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में जीडीपी में सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जीडीपी में 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। जीडीपी में तीव्र गति की यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को बताती है।’’

उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में उदार रुख बरकरार रखते हुए नकदी की स्थिति और मजबूत करने पर जोर हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समीक्षा में कल (शुक्रवार को) नीतिगत दर में कटौती की घोषणा की संभावना कम है, लेकिन उदार रुख से उद्योग और बाजार प्रतिभागी इस बात को लेकर आश्वस्त होंगे कि आरबीआई खासकर कोविड- बाद अवधि में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये ब्याज दर को नरम रखने को प्रतिबद्ध है।’’

हाउसिंग डॉट कॉम, मकान डॉट कॉम और प्रोपटाइगर डॉट कॉम के समूह सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई ने इस साल रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये कई अनुकूल कदम उठाये हैं। हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है और हम इसको लेकर उम्मीद कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र की निश्चित रूप से आवास ऋण पर ब्याज में कमी पर नजर है। हालांकि, हमारा मानना है कि इस साल नीतिगत दर में और कटौती की संभावना कम है....।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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