11,356 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले को सुलझाएगा ये 84 वर्षीय सीए, उठ रहे हैं सवाल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: February 26, 2018 19:30 IST2018-02-26T17:23:32+5:302018-02-26T19:30:43+5:30
पंजाब नेशनल बैंक 11,356 करोड़ रुपये के घोटाले को सुलझाने का जिम्मा 84 वर्षीय सीए येज्दी हिरजी मालेगम को मिला है। वो आरबीआई की एक कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए हैं।

11,356 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले को सुलझाएगा ये 84 वर्षीय सीए, उठ रहे हैं सवाल
15 फरवरी को पंजाब नेशनल बैंक ने सार्वजनिक रूप से 11,356 करोड़ रुपये की जालसाजी की बात स्वीकार की। बैंक का कहना था कि हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने फर्जी तरीके से 'लेटर ऑफ अंडरटेकिंग' का इस्तेमाल करके घोटाला किया। पीएनबी घोटाले की खबर ने आम आदमी से लेकर सरकार तक को हिलाकर रख दिया। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक घोटाला सामने आने के कुछ दिन बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक कमेटी का गठन किया जिसके अध्यक्ष 84 साल के येज्दी हिरजी मालेगम बनाए गए हैं। इस कमेटी का काम बैंकों के फ्रॉड के साथ-साथ एनपीए की भी पहचान करना होगा।
येज्दी हिरजी मालेगमः क्यों हैं चर्चित?
मालेगम के बारे में माना जाता है कि वो आरबीआई के 'व्योमकेश बख्शी' हैं। शायद यही वजह है कि आरबीआई की अधिकांश समितियों के साथ वो जुड़े होते हैं। उनके प्रभाव पर बात करते हुए एकबार आरबीआई के पूर्व गवर्नर एम नरसिम्हन ने कहा था, 'जब भी देश के सामने कोई बड़ी समस्या आती है तो उसके जवाब में कमिटी बनाई जाती है। आरबीआई इससे अछूता नहीं है, लेकिन यहां थोड़ा अंतर है। जब भी बैंकिंग में कोई बड़ा संकट आता है तो आरबीआई मालेगम की अध्यक्षता में कमिटी बनाता है।'
येज्दी हिरजी मालेगमः सफरनामा
मालेगम 84 वर्षीय भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। 1979-80 के दौरान वो इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट के अध्यक्ष रहे हैं। वो नेशनल एडवायजरी कमेटी के चेयरमैन भी रह चुके हैं। वो रिजर्व बैंक के फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमिशन के नॉमिनी भी रहे हैं। मालेगम 17 सालों तक इंडियन सेंट्रल बैंक बोर्ड के निदेशक रहे हैं। आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड से निकलने के बाद वो नोट मुद्रण लिमिटेड के निदेशक रहे।
हितों के टकराव की आशंका
अब मालेगम को पीएनबी घोटाले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन माना जा रहा है कि मालेगम कई ऐसी जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं जिनसे हितों का टकराव हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वो कई सालों तक रेटिंग एजेंसी CARE के हेड रह चुके हैं। CARE गीतांजलि जेम्स और नीरव मोदी ग्रुप की फर्म्स को जारी कई पेपरों की रेटिंग भी कर चुकी है।