नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर बड़ी राहत की घोषणा की है। ईंधन उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों से आम जनजीवन पर पड़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने शनिवार को पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये एवं छह रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की।
इससे पेट्रोल की कीमत 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7 रुपये प्रति लीटर कम हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने घरों में खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले एलपीजी सिलिंडर पर भी 200 रुपये प्रति सिलिंडर की सब्सिडी देने की घोषणा की। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को एक साल में 12 गैस सिलिंडरों पर यह सब्सिडी दी जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने और गैस सब्सिडी देने के इस फैसले की जानकारी दी। पिछले कुछ महीनों में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें बढ़ने के अलावा रसोई गैस की कीमतें भी लगातार बढ़ी हैं। इसकी वजह से लोगों के बजट पर बुरा असर पड़ रहा था। इसको देखते हुए तमाम जानकार एवं विपक्षी दल ईंधन कीमतों में कटौती की मांग कर रहे थे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम प्लास्टिक उत्पादों के लिए कच्चे माल और बिचौलियों पर सीमा शुल्क भी कम कर रहे हैं जहां हमारी आयात निर्भरता अधिक है। स्टील के कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क कम किया जाएगा। कुछ इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाया जाएगा।सीमेंट की उपलब्धता में सुधार के लिए और सीमेंट की लागत को कम करने के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स के माध्यम से उपाय किए जा रहे हैं।
भारत में पेट्रोल और डीजल की खपत मई में बढ़ गई। इस दौरान आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ ही फसल कटाई के मौसम की शुरुआत से मांग में सुधार हुआ। जारी प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक मई के पहले पखवाड़े में पेट्रोल की बिक्री इससे पिछले महीने की समान अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत बढ़ी।
इस दौरान डीजल की मांग 1.8 प्रतिशत बढ़ी, जबकि रसोई गैस की बिक्री 1-15 मई के दौरान में 2.8 प्रतिशत बढ़ी। सार्वजनिक क्षेत्र के खुदरा ईंधन विक्रेताओं ने 1-15 मई के दौरान 12.8 लाख टन पेट्रोल बेचा, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 59.7 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़ा 2019 की इसी अवधि की तुलना में 16.3 प्रतिशत अधिक है।
देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की बिक्री मई के पहले पखवाड़े में सालाना आधार पर 37.8 फीसदी बढ़कर 30.5 लाख टन हो गई। हालांकि, यह आंकड़ा अप्रैल 2019 की समान अवधि में बिक्री की तुलना में 1.5 प्रतिशत कम है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि मई में खपत बढ़ने की एक वजह फसल कटाई के मौसम की शुरुआत है। इसके अलावा कम आधार प्रभाव के कारण भी बिक्री में वृद्धि हुई।