parliament budget session: 10 फरवरी तक चलेगा बजट सत्र, 2004-14 के आर्थिक कुप्रबंधन पर 'श्वेत पत्र' पेश करने की योजना, मोदी सरकार चुनाव से पहले खोलेगी पोल!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 7, 2024 11:44 AM2024-02-07T11:44:28+5:302024-02-07T11:45:31+5:30
parliament budget session: सरकार 2014 से पहले और उसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना करते हुए एक 'श्वेत पत्र' पेश करने की योजना बना रही है और इसके लिए कार्यवाही आगे बढ़ाई गई है।
parliament budget session: संसद के मौजूदा बजट सत्र को एक दिन बढ़ा दिया गया है। राज्यसभा की बैठक 10 फरवरी तक बढ़ा दी गई है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन में बुधवार को यह घोषणा की। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही धनखड़ ने बताया कि कार्य मंत्रणा समिति की मंगलवार को हुई बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई थी जिसमें मौजूद सभी दलों के नेताओं ने राज्यसभा की बैठक 10 फरवरी तक बढ़ाए जाने पर सहमति जताई। धनखड़ ने कहा कि 10 फरवरी को बैठक के दिन ना तो शून्यकाल और ना ही प्रश्नकाल होगा।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार 2014 से पहले और उसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना करते हुए एक 'श्वेत पत्र' पेश करने की योजना बना रही है और इसके लिए कार्यवाही आगे बढ़ाई गई है। बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को हुई थी और इसे नौ फरवरी को समाप्त होना था। यह जानकारी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यहां दी।
सूत्रों ने बताया कि सरकार 2014 से पहले और बाद में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना करते हुए एक 'श्वेत पत्र' पेश करने की योजना बना रही है। बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को हुई थी और इसे नौ फरवरी को समाप्त होना था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण में कहा था कि केंद्र सरकार 2014 से पहले और बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना करते हुए एक 'श्वेत पत्र' जारी करेगी। उन्होंने कहा था कि उन दिनों के संकट को दूर कर लिया गया है और अर्थव्यवस्था को सर्वांगीण विकास के साथ उच्च सतत विकास पथ पर मजबूती से स्थापित किया गया है।
वित्त मंत्री ने एक फरवरी को अपने भाषण में कहा था, ‘‘केवल उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक लेने के उद्देश्य से अब यह देखना उचित है कि हम 2014 तक कहां थे और अब कहां हैं। सरकार सदन के पटल पर एक श्वेत पत्र रखेगी।’’ संसद की कार्यवाही आमतौर पर सप्ताहांत में नहीं होती है, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब सदन की बैठक शनिवार को आहूत की गयी है।