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दो साल में 122 फीसदी तक बढ़ा पाकिस्तान का कर्ज, रक्षा पर खर्च से अधिक चुकाना पड़ता है कर्ज का ब्याज

By विशाल कुमार | Updated: November 3, 2021 15:33 IST

पाकिस्तान के कर्ज में डूबने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2020-21 के संघीय बजट में पाकिस्तान के रक्षा मामलों एवं सेवाओं से भी अधिक खर्च कर्ज पर ब्याज का था.

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ठळक मुद्देएक तिहाई विदेशी तो दो तिहाई कर्ज घरेलू है.दो सालों में 122 फीसदी बढ़कर जून 2021 तक 39859 अरब रुपये हुआ.पाकिस्तान से खराब हालत केवल एक देश श्रीलंका की.

नई दिल्ली: महंगाई से बेहार पाकिस्तान का कुल कर्ज पिछले दो सालों में 122 फीसदी बढ़कर जून 2021 तक 39859 अरब रुपये हो चुका है. इसमें जहां एक तिहाई विदेशी (34.1 फीसदी) तो दो तिहाई कर्ज घरेलू 65.9 फीसदी) है.

पाकिस्तान को घरेलू कर्ज पाकिस्तान निवेश बांड, ट्रेजरी बिल और राष्ट्रीय बचत योजना ने दी है जबकि विश्व बैंक, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियाई विकास बैंक, पेरिस क्लब और वाणिज्यिक कर्जदारों ने दी है.

पाकिस्तान के लिए ये कर्ज इसलिए अधिक भारी हैं क्योंकि उसे इनका भुगतान विदेशी मुद्रा में करना है और कर्जदार ताकतवर सस्थाएं और देश हैं. जून में जहां डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 157 थी तो अब वह बढ़कर 170 रुपये हो चुकी है.

पाकिस्तान के कर्ज में डूबने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2020-21 के संघीय बजट में पाकिस्तान के रक्षा मामलों एवं सेवाओं से भी अधिक खर्च कर्ज पर ब्याज का था.

दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान से खराब हालत केवल श्रीलंका की

इसके साथ ही दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान से खराब हालत केवल एक देश श्रीलंका की है जिसे साल 2017 में अपना कर्ज चुकाने के लिए एक सरकारी चीनी कंपनी को अपने एक बंदरगाह और 15 हजार एकड़ औद्योगिक जमीन 99 साल की लीज पर दे दी है.

लाहौर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिफॉर्म्स (आईपीआर) कहा कहना है कि पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या आर्थिक वृद्धि लाने के बजाय विदेशी कर्ज का भुगतान और उसमें सुधार करना है.

कर्ज पर लगाम लगाने के लिए लाया गया था कानून

पाकिस्तान के कर्ज की समस्या को देखते हुए उस पर लगाम लगाने के लिए साल 2005 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और ऋण सीमा अधिनियम लाया गया था जिसके तहत  2017-18 के अंत तक ऋण-से-जीडीपी अनुपात को घटाकर 60 फीसदी करने और फिर 2032-33 तक धीरे-धीरे 50 फीसदी तक कम करने पर जोर दिया गया है.

आर्थिक सर्वे 2020-21 के अनुसार, फिलहाल जीडीपी की तुलना मे  पाकिस्तान के कर्ज का अनुपात 80 फीसदी से ऊपर चला गया है. वहीं, पाकिस्तान का ब्याज-से-राजस्व अनुपात श्रीलंका के बाद दूसरा सबसे अधिक है.

हालांकि,, अपनी अप्रैल की रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए आईएमएफ अनुमानों में कर-से-जीडीपी अनुपात में 2021 में 92.9 फीसदी से 2024 में 69.2 फीसदी तक बड़ी कमी की ओर संकेत कर रहा है.

बता दें कि, कर्ज संकट का सामना कर रहे 52 देशों में पाकिस्तान एक है और यह वहां की जनता का मानवाधिकारों का हनन करने की ओर बढ़ रहा है.

टॅग्स :पाकिस्तान
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