सस्ते आयात से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

By भाषा | Updated: November 28, 2021 11:39 IST2021-11-28T11:39:30+5:302021-11-28T11:39:30+5:30

Oil-oilseeds prices fall last week due to cheap imports | सस्ते आयात से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

सस्ते आयात से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नयी दिल्ली, 28 नवंबर खाद्य तेलों के सस्ते आयात की वजह से स्थानीय तेल के भाव महंगा बैठने के कारण बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि देश अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 75-80 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। ऐसे में देश में आयात शुल्क कम किये जाने के बाद मलेशिया और अर्जेंटीना जैसे देशों से सोयाबीन और पामोलीन जैसे तेलों का सस्ता आयात बढ़ने से स्थानीय बिनौला और सोयाबीन तेल के भाव आयातित तेलों से कहीं महंगा बैठने लगे हैं। ऐसे में इन तेलों को खपाने के लिए बाजार में इन्हें सस्ते में बेचना पड़ रहा है। लागत के मुकाबले कम भाव में तेल बिक्री की मजबूरी की वजह से बिनौला और सोयाबीन मिल वालों का संकट बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि किसान सोयाबीन और बिनौला सस्ते में बेचने से बच रहे हैं क्योंकि पहले उन्हें इनके अच्छे दाम मिल चुके हैं।

सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा पिछले साल हरियाणा और पंजाब में बिनौला बीज से तेल की प्राप्ति का स्तर लगभग 10 प्रतिशत था जो इस बार घटकर लगभग आठ प्रतिशत रह गया है। इसके साथ ही हालिया बरसात के कारण भी पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इन दोनों फसलों को नुकसान हुआ है। इसके ऊपर देश में सस्ते आयात के आगे इन तेलों की लागत निकलना मुश्किल होने से इन्हें सस्ते में बेचना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बिनौला और सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।

सूत्रों ने बताया कि राजस्थान और गुजरात में मूंगफली की आवक बढ़ने से इनके तेल-तिलहनों के भाव टूटे हैं।

जाड़े में हल्के तेलों की मांग बढ़ने तथा सर्दियों में जम जाने वाले सीपीओ और पामोलीन जैसे तेलों की मांग कमजोर होने से पामोलीन और सीपीओ की कीमतें भी गिरावट दर्शाती बंद हुईं। इन तेलों के आयातकों को इसके आयात पर 4-5 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सरसों की अगली परिपक्व फसल आने में लगभग तीन माह का समय है और सरसों की उपलब्धता निरंतर कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर को देश में सरसों की उपलब्धता लगभग 13.5 लाख टन की थी जो 30 नवंबर को घटकर लगभग आठ लाख टन रह जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि नवंबर के महीने में लगभग 5.5 लाख टन सरसों की पेराई हुई।

सूत्रों ने कहा कि ऐसे समय में जब बाजार मंदा है, सरकार की मदद से सहकारी संस्था हाफेड को किसानों से सरसों की सीधी खरीद कर हरियाणा के नारनौल और रेवाड़ी की अपने तेल मिलों से पेराई के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से गरीबों को सरसों तेल उपलब्ध कराने के बारे में सोचना चाहिये। इसके अलावा सरकार को भविष्य के लिए सरसों का 5-10 लाख टन का स्थायी स्टॉक बनाकर रखने के बारे में भी विचार करना चाहिये ताकि वक्त जरूरत हमें किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि इस बार किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने से सरसों की अगली पैदावार बंपर होने की संभावना है। इस बार इसकी बुवाई का रकबा काफी बढ़ा है।

सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 8,920-8,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 9,070-9,100 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 320 रुपये घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 17,550 रुपये क्विंटल रह गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत 45-45 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,715-2,740 रुपये और 2,795-2,905 रुपये प्रति टिन रह गईं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय मांग के बीच समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 450 रुपये और 325 रुपये सुधरकर क्रमश: 6,650-6,750 रुपये और 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

वहीं सस्ते आयात की मार से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 270 रुपये, 150 रुपये और 200 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 13,380 रुपये, 13,080 रुपये और 11,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

इस दौरान मूंगफली का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 200 रुपये घटकर 5,850-5,935 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली तेल गुजरात का भाव 600 रुपये की हानि के साथ 12,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड का भाव 90 रुपये की हानि के साथ 1,885-2,010 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 250 रुपये की गिरावट के साथ 11,250 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 260 रुपये की हानि के साथ 12,750 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला तेल का भाव 250 रुपये की हानि के साथ 11,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

बिनौला तेल का भाव 360 रुपये की गिरावट के साथ 12,200 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ।

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Web Title: Oil-oilseeds prices fall last week due to cheap imports

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