चीन को लौह अयस्क निर्यात में कथित करचेारी की जांच के लिये याचिका पर केन्द्र और 61 कंपनियों को नोटिस

By भाषा | Updated: January 15, 2021 20:19 IST2021-01-15T20:19:25+5:302021-01-15T20:19:25+5:30

Notice to Center and 61 companies on plea for investigation into alleged fraud in iron ore exports to China | चीन को लौह अयस्क निर्यात में कथित करचेारी की जांच के लिये याचिका पर केन्द्र और 61 कंपनियों को नोटिस

चीन को लौह अयस्क निर्यात में कथित करचेारी की जांच के लिये याचिका पर केन्द्र और 61 कंपनियों को नोटिस

नयी दिल्ली, 15 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने चीन को 2015 से लौह अयस्क के निर्यात में कथित कर चोरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और इसकी केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार और एस्सार स्टील और जिंदल स्टील एंड पावर कंपनी सहित 61 कंपनियों से जवाब मांगा है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासु्ब्रमणियन की पीठ ने याचिकाकर्ता और अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया।

शर्मा ने दलील दी कि इन कंपनियों विदेशी व्यापार (विकास और नियमन) कानून, 1992 के तहत लौह अयस्क के निर्यात के लिये कथित रूप से गलत टैरिफ कोड की घोषणा करके निर्यात शुल्क की चोरी की। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के खिलाफ निर्यात शुल्क की चोरी करने के आरोप में कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।

पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता को व्यक्तिगत रूप से बहस करने की अनुमति दी। शर्मा ने पीठ से कहा कि लौह अयस्क की ‘चीन को तस्करी’ की जा रही है क्योंकि ये कंपनियां 30 निर्यात शुल्क का भुगतान किये बगैर ही इसका निर्यात कर रही हैं।

जनहित याचिका में कहा गया है कि वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय निर्यात नीति को नियंत्रित करते हैं और तय करते हैं कि सुसंगत-प्रणाली (एचएस) के किस कोड के अंतर्गत किसी सामान का निर्यात किया जायेगा।

याचिका के अनुसार सरकार ने निम्न ग्रेड के लौह अयस्क के उपयोग के लिये केआईओसीएल नाम की एक फर्म स्थापित की थी। इसी कंपनी को ‘डयूटी फ्री टैरिफ एचएस कोड 26011210 के अंतर्गत निम्न ग्रेड के लौह अयस्क के निर्यात का अधिकार था।

याचिका में कहा गया है कि विदेशी व्यापार (विकास एवं नियमन) कानून, 1992 के तहत 30 प्र्रतिशत निर्यात ड्यूटी का भुगतान करके ‘टैरिफ एचएस कोड नं. 26011100 ’ से बाकी सभी दूसरी किस्म के लौह अयस्क के निर्यात का प्रावधान है।

याचिका के अनुसार इन कंपनियों को केआईओसीएल द्वारा इस्तेमाल किये जाने टैरिफ कोड के तहत गलत तरीके से लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति दी गयी और इसतरह से उन्होंने करोड़ों रूपए की कर चोरी की।

याचिका के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय , सीमा शुल्क विभाग और इन 61 कंपनियों की ‘मिली भगत’ से ये कंपनियां 2015 से टैरिफ एचएस कोड 26011100 के स्थान पर सारे नियमों का उल्लंघन करके टैरिफ कोड एचएस नं. 26011210 का इस्तेमाल करके चीन को लौह अयस्क के छर्रे निर्यात करने के नाम पर ‘लाखों टन लौह अयस्क की तस्करी’ करती रहीं और इस तरह उन्होंने आज तक 30 प्रतिशत की दर के निर्यात शुल्क की चोरी की है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इससे सीमा शुल्क कानूनी, कोफेपोसा, विदेशी व्यापार (विकास एवं नियमन) कानून और भारतीय दंड संहिता के धोखाधड़ी और छल करने संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। याचिका में इस मामले में संलिप्त कंपनियों के खिलाफ न्यायालय की निगरानी में समयबद्ध तरीके से सीबीआई जांच करानेका अनुरोध किया गया है।

याचिका में संबंधित निर्यातकों से संयुक्त और अलगल अलग कुल मिला कर 7,08,000 करोड़ रुपये दंड की वसूली कराए जाने की मांग की गयी है।

न्यायालय ने इस याचिका पर केन्द्रीय मंत्रालयों और केन्द्रीय जांच ब्यूरो के साथ ही ब्राह्मणी रिवर रेलेट्स लि,, रश्मी मेटलिक्स लि, जिंदल सॉ लि, एस्सर पावर (ओडिसा) लि और जेएसडब्लू स्टील लि सहित 61 कंपनियों को नोटिस जारी किये हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Notice to Center and 61 companies on plea for investigation into alleged fraud in iron ore exports to China

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे