नीति आयोग के उपाध्यक्ष का दावा, नोटबंदी नहीं, रघुराम राजन की नीतियों के चलते गिरी थी विकास दर
By पल्लवी कुमारी | Updated: September 3, 2018 15:57 IST2018-09-03T15:57:16+5:302018-09-03T15:57:16+5:30
विकास दर में गिरावट के आरोपों को लेकर राजीव कुमार ने सफाई देते हए कहा, 'नोटबंदी से विकास दर में कमी आई है, ये अवधारणा पूरी तरह से गलत है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष का दावा, नोटबंदी नहीं, रघुराम राजन की नीतियों के चलते गिरी थी विकास दर
नई दिल्ली, तीन सिंतबर: विकास दर आई गिरावट पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दावा किया है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों को की वजहों से हुआ है। उन्होंने यूपीए सरकार को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
विकास दर में गिरावट के आरोपों को लेकर राजीव कुमार ने सफाई देते हए कहा, 'नोटबंदी से विकास दर में कमी आई है, ये अवधारणा पूरी तरह से गलत है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे लोगों ने भी ऐसा कहा ये समझ के परे है।
#UPDATE Growth was declining because of rising NPAs in banking sector. Because under previous governor Mr Rajan they brought in new mechanisms to identify stressed NPAs & these continued to go up which is why banking sector stopped giving credit to industry: Rajiv Kumar https://t.co/XxEsQXtiJw
— ANI (@ANI) September 3, 2018
उन्होंने कहा, यदि आप विकास दर के आंकड़ों को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह नोटबंदी की वजह से नीचे नहीं आया, बल्कि छह तिमाही से यह लगातार नीचे जा रहा था, जिसकी शुरुआत 2015-16 की दूसरी तिमाही में ही हो गई थी। जब विकास दर 9.2 फीसदी थी। इसके बाद से ही हर तिमाही में विकास दर गिरती गई है। यह एक ट्रेंड का हिस्सा बन चुका था। नोटबंदी का झटका इसके लिए जिम्मेदार नहीं था। नोटबंदी और विकास दर में गिरावट के बीच प्रत्यक्ष संबंध का कोई सबूत नहीं है।'
#WATCH:Niti Aayog Vice-Chairman Rajiv Kumar on allegations that #demonetisation slowed down growth says 'This is a completely false narrative and I am afraid leading people like Mr.Chidambaram and our former PM added to this.' pic.twitter.com/EeGqHjIpad
— ANI (@ANI) September 3, 2018
राजीव कुमार इस बात के लिए रघुराम राजन को भी जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, 'विकास देर में गिरावट बैंकिंग सेक्टर में एनपीए समस्यों की बढ़ने की वजह से आ रही थी। जब नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो ये आकड़ा 4 लाख करोड़ रुपया था। यह 2017 के मध्य तक बढ़कर साढ़े 10 लाख करोड़ हो गया था। एनपीए बढ़ने की वजह से बैंकिंग सेक्टर ने इंडस्ट्री को उधार देना बंद कर दिया।'