ग्लासगो, दो नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से इतर माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और परमार्थ कार्यों के लिए प्रसिद्ध बिल गेट्स से मुलाकात की। इस बैठक में सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और टीका अनुसंधान की चुनौतियों पर चर्चा हुई।
मोदी और अमेरिका के अरबपति उद्योगपति की बैठक गेट्स द्वारा छोटे द्वीपीय देशों में ढांचे के विकास की पहल रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स (आईआरआईएस) शुरू किए जाने के बाद हुई है। गेट्स का फाउंडेशन महामारी से मुकाबले के लिए काफी काम कर रहा है।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘सीओपी-26 शिखर बैठक में बिल गेट्स के साथ शानदार बैठक हुई। हमारी विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। हमने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने के तरीकों पर भी विचार विमर्श किया। ’’
इससे पहले गेट्स ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विज्ञान और नवोन्मेष क्षेत्रों में निवेश की अधिक संभावनाओं के बारे में बातचीत से वह काफी उत्साहित हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक ने प्रधानमंत्री को ‘मिशन इनोवेशन’ की प्रगति की जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों के बीच भारत में मिशन इनोवेशन के तहत गतिविधियां बढ़ाने के कदमों पर चर्चा हुई।’’
मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स द्वारा भारत में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।
मोदी और गेट्स ने हरित हाइड्रोजन, विमान ईंधन, बैटरी स्टोरेज और वैक्सीन शोध में अवसरों पर विचार-विमर्श किया।
‘मिशन इनोवेशन’ एक वैश्विक पहल है जिसका मकसद शोध, विकास और प्रदर्शन में निवेश के जरिये स्वच्छ ऊर्जा को सस्ता और आकर्षक बनाना है जिससे इस दशक में यह सभी की पहुंच में हो।
गेट्स पूर्व में अपने फाउंडेशन की ओर से भारत के सतत विकास लक्ष्यों (एसजीडी) के प्रयासों के प्रति समर्थन जता चुके हैं। इसमें विशेषरूप से स्वास्थ्य, पोषण, साफ-सफाई और कृषि पर ध्यान दिया जा रहा है।
सोमवार को गेट्स ने कहा था कि इस साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन मुख्य रूप से नवोन्मेष पर केंद्रित रहेगा। उन्होंने आगे की राह को लेकर भरोसा भी जताया था।
गेट्स ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सीओपी-26 में दुनिया को एकसाथ लाकर विकास को तेज किया जा सकता है और स्वच्छ ऊर्जा की स्वीकार्यता को बढ़ाया जा सकता है।’’
पिछले महीने में बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने कम आय वाले देशों के कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में समर्थन देने के लिए वायरसरोधी दवा मोल्नुपिराविर तक पहुंच उपलब्ध कराने को 12 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता जताई थी।
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