मुद्रा योजना: बिहार-बंगाल से कम मिला महाराष्ट्र को पैसा, लेकिन रोजगार के मामले में नंबर वन राज्य
By स्वाति सिंह | Published: September 5, 2019 09:02 AM2019-09-05T09:02:56+5:302019-09-05T09:03:53+5:30
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना को लॉन्च किया था। इसके तहत बिना कोलैटरल के तीन श्रेणियों में शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक) और तरुण (पांच लाख रुपये से 10 तक) लोन दिए जाते हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 के दौरान 1.12 करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित किए गए हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री की मुद्रा योजना के तहत सिर्फ पांच राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल में कुल लोन का लगभग 70% दिया गया है, लेकिन रोजगार सृजन के मामले में निराशा मिली है। यह बात मुद्रा सर्वेक्षण की ड्राफ्ट रिपोर्ट से सामने आई है ।
रिपोर्ट के मुताबिक इनमे से चार तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा और बिहार अतिरिक्त रोजगार सृजनकर्ताओं में से हैं, जिन्होंने लगभग 40% अतिरिक्त नौकरियां पैदा की हैं। लोन वितरण के मामले में महाराष्ट्र टॉप पांच राज्यों में नहीं है। महाराष्ट्र को कुल ऋणों में सिर्फ 4% की हिस्सेदारी ही हासिल हुई है बावजूद इसके यह अधिकतम 15% अतिरिक्त रोजगार उत्पन्न कर सका है।
बता दें कि मोदी ने एंटरप्रेन्योरशिप और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना शुरू की थी। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट की माने तो मुद्रा योजना के तहत बांटे गए लोन से सिर्फ 10 फीसदी नौकरियां का ही सृजन हुआ है।
इंडियन एक्सप्रेस ने इस रिपोर्ट में श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो द्वारा आयोजित सर्वेक्षण का हवाला दिया है। बताया जा रहा है कि मुद्रा योजना के पांच लाभार्थियों में से सिर्फ कुछ ने ही इस अमाउंट से नया बिजनेस शुरू किया जबकि अन्य ने पुराने बिजेनस में यह पैसा लगाया।
यहां कुल 1.12 करोड़ नौकरियों में से लगभग आधे (51.06 लाख) 'स्व-रोजगार या कामकाजी मालिक' वाली श्रेणी में थे, जिसमें बिना वेतनवाले परिवार के सदस्य भी शामिल हैं, जबकि 60.94 लाख नौकरियां 'कर्मचारी या काम पर रखे गए कर्मचारी' वाली श्रेणी में थीं।