विदेशी बाजारों में भाव टूटने से बीते सप्ताह स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

By भाषा | Published: January 17, 2021 10:50 AM2021-01-17T10:50:39+5:302021-01-17T10:50:39+5:30

Local oil-oilseed prices plummeted last week as prices in foreign markets fell | विदेशी बाजारों में भाव टूटने से बीते सप्ताह स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

विदेशी बाजारों में भाव टूटने से बीते सप्ताह स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नयी दिल्ली, 17 जनवरी विदेशी बाजारों में भाव टूटने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला तथा कच्चे पाम तेल सहित लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई जबकि विदेशों में सोयाबीन खल (डीओसी) की निर्यात मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना और लूज की कीमतों में लाभ दर्ज हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज में आठ से 10 प्रतिशत की तथा शिकॉगो एक्सचेंज में पांच से छह प्रतिशत की गिरावट आई है जिसका सीधा असर स्थानीय कारोबार पर देखने को मिला है।

उन्होंने कहा कि तेल-तिलहनों के भाव में आई नरमी का लाभ उपभोक्ताओं या किसानों को नहीं मिल पाया है यह गंभीर मुद्दा है। संभवत: इनके कारणों की पड़ताल की जाये तो देश में तिलहन उत्पादन नहीं बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण उजागर हो सकता है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में विभिन्न उपायों के माध्यम से सट्टेबाजों ने किसानों को सस्ते में अपनी उपज बेचने के लिए बाध्य किया और उन्हें कोई लाभ नहीं मिल पाया। दूसरी ओर तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट के बावजूद उपभोक्ताओं को पुराने दाम के आसपास ही खर्च करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि तेल कंपनियां जब ऊंचे दाम पर फुटकर विक्रेताओं को माल बेचती हैं तो मजबूरन फुटकर विक्रेताओं को भी महंगा ही बेचना पड़ता है जबकि दाम टूटने पर भाव को कम किया जाना चाहिये। सरकार को ऐसी तेल कंपनियों पर नकेल कसनी चाहिये जो विदेशों में दाम बढ़ने पर तत्काल अपनी कीमत बढ़ा देती हैं, लेकिन दाम टूटने की स्थिति में भी पुराने भाव को बनाये रखती हैं।

पिछले सप्ताह विदेशों में दाम तो टूटे, लेकिन इसका लाभ न तो उपभोक्ताओं को मिला और न ही किसानों को मिल सका जिन्हें विभिन्न उपायों के जरिये मंडियों में अपना माल सस्ते में खपाने के लिए बाध्य किया गया।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को केन्द्रीय बजट में भी खाद्य तेल पर लगने वाले शुल्कों से कोई छेड़खानी नहीं करनी चाहिये बल्कि जहां तक संभव हो सके आयात शुल्क कम करने के बजाये बढ़ाने पर जोर देना चाहिये। आयात शुल्क कम करने पर विदेशों में विभिन्न शुल्कों के जरिये तेल के दाम बढ़ा दिये जाते हैं जो पिछले दिनों सीपीओ के मामले में देखा गया था। इसी प्रकार बृहस्पतिवार को आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि किये जाने के बाद सोयाबीन डीगम का दाम लगभग 265 रुपये क्विन्टल बढ़ने की जगह उल्टा 300 रुपये क्विन्टल टूट गया और विदेशों में मंदी का रुख कायम हो गया। सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि करके सरकार ने तेल-तिलहन उद्योग के हित में कदम उठाया है। इससे सरकार को राजस्व का भी लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि कई राज्यों में सूरजमुखी की बिजाई की जानी है और इस बात को संज्ञान में लिया जाना चाहिये कि जब मंडियों में सूरजमुखी दाना एमएसपी से नीचे बिक रहा है, तो किसान कैसे आगे इसके उत्पादन के लिए हिम्मत जुटायेंगे।

उन्होंने कहा कि विदेशों में सोयाबीन के तेल रहित खल की निर्यात मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले, बीते सप्ताहांत 25-25 रुपये रुपये का लाभ दर्ज हुआ और कीमतें क्रमश: 4,675-4,725 रुपये और 4,575-4,610 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।

इसके अलावा बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम के भाव क्रमश: 700 रुपये, 550 रुपये और 800 रुपये की हानि दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 12,200 रुपये, 11,950 रुपये और 10,900 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

गत सप्ताहांत सरसों दाना अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 475 रुपये टूटकर 6,075-6,125 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 800 रुपये की भारी गिरावट के साथ 12,200 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल कीमतें भी 120-120 रुपये की हानि दर्शाती क्रमश: 1,860-2,010 रुपये और 1,990-2,105 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।

मूंगफली दाना सप्ताहांत में 125 रुपये टूटकर 5,460-5,525 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल का भाव 300 रुपये घटकर 13,700 रुपये क्विन्टल रह गया। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड की कीमत में भी पिछले सप्ताह के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में 40 रुपये प्रति टिन की गिरावट आई।

मलेशिया एक्सचेंज के टूटने और वैश्विक मांग कमजोर होने से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 480 रुपये टूटकर 9,500 रुपये, रिफाइंड पामोलिन दिल्ली का भाव 600 रुपये टूटकर 11,000 रुपये और पामोलीन कांडला (बीना जीएसटी) 550 रुपये घटकर 10,100 रुपये क्विंटल रह गया। समीक्षाधीन सप्ताहांत में बिनौला तेल भी 700 रुपये घटकर (बिना जीएसटी के) 10,300 रुपये क्विंटल रह गया।

बाजार सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज में 8-10 प्रतिशत और शिकॉगो एक्सचेंज में 5-6 प्रतिशत की गिरावट आई लेकिन इन गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाया और तेल कंपनियां ऊंचे भाव पर फुटकर विक्रेताओं को बिक्री करती रहीं।

सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय सूरजमुखी बुवाई का है और मंडियों में सूरजमुखी दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है ऐसे में किसान तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित हो सकते हैं। सरकार को इस बात की ओर भी ध्यान देना चाहिये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Local oil-oilseed prices plummeted last week as prices in foreign markets fell

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे