कुणाल कामरा ने ओला पर फिर निशाना साधा, नितिन गडकरी से हस्तक्षेप की मांग की
By रुस्तम राणा | Updated: October 28, 2024 15:40 IST2024-10-28T15:40:36+5:302024-10-28T15:40:36+5:30
कुणाल कामरा ने एक्स पर लिखा, "मंत्री नितिन गडकरी कृपया भारतीय ग्राहकों की दुर्दशा पर गौर करें, उनकी आवाज नहीं सुनी जाती। वे काम पर नहीं जा सकते। वे एक ऐसे मुद्दे को हल करने के लिए खराब ऋण ले रहे हैं जो मुख्य रूप से ओला की जिम्मेदारी है... सरकारी एजेंसियां कब हस्तक्षेप करेंगी?"

कुणाल कामरा ने ओला पर फिर निशाना साधा, नितिन गडकरी से हस्तक्षेप की मांग की
नई दिल्ली: स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने ओला पर एकबार फिर निशाना साधा है और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से अनुरोध किया है कि वे ओला के इलेक्ट्रिक स्कूटर के कारण भारतीय ग्राहकों को होने वाली समस्याओं में हस्तक्षेप करें।
कामरा ने एक्स पर लिखा, "मंत्री नितिन गडकरी कृपया भारतीय ग्राहकों की दुर्दशा पर गौर करें, उनकी आवाज नहीं सुनी जाती। वे काम पर नहीं जा सकते। वे एक ऐसे मुद्दे को हल करने के लिए खराब ऋण ले रहे हैं जो मुख्य रूप से ओला की जिम्मेदारी है... सरकारी एजेंसियां कब हस्तक्षेप करेंगी?"
कामरा ने एक एक्स यूजर और उसकी पोस्ट का वीडियो शेयर किया। यह वीडियो महाराष्ट्र के सोलापुर के रंजननगर का है, जिसमें ओला की एक सुविधा दिखाई गई है। पोस्ट में दावा किया गया है कि साइट पर कोई योग्य पेशेवर नहीं हैं। वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया गया।
Minister @nitin_gadkari please look at the plight of indian customers,
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) October 28, 2024
their voices aren’t heard.
They can’t get to work.
They are taking bad loans to solve an issue that is primarily Ola’s responsibility…
When will government agencies intervene? https://t.co/nJYapedavI
कामरा की ताजा पोस्ट कॉमेडियन और ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल के बीच तीखी नोकझोंक को और बढ़ा देती है। यह मुद्दा तब शुरू हुआ जब कामरा ने ओला शोरूम के बाहर इलेक्ट्रिक स्कूटर की हालत की ओर इशारा किया। भाविश अग्रवाल ने कामरा से कहा कि अगर उन्हें इतनी चिंता है तो वे मदद करें या अपना मुंह बंद रखें। कामरा को ओला सीईओ की प्रतिक्रिया देखकर सोशल मीडिया यूजर्स ने अग्रवाल को ‘असभ्य’ और ‘घमंडी’ कहा।
कामरा की पोस्ट पर कई एक्स यूजर्स ने अपनी चिंता जाहिर की है और सरकार से हस्तक्षेप करने को कहा है। एक यूजर ने लिखा, "यह गंभीर चिंता का विषय है और भारतीय उपभोक्ताओं की दुर्दशा पर बेशर्म कॉर्पोरेट अहंकार का संकेत है। क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह आम भारतीयों को ठगे जाने से बचाए? घटिया उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षा? चौकीदार पर कौन नजर रखता है?"