नयी दिल्ली, 16 मार्च सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने मंगलवार को कहा कि कंपनी ने गैर-प्रमुख संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने और परिचालन दक्षता का लाभ उठाने के इरादे से अपनी तेल रिफाइनरियों में हाइड्रोजन उत्पादक संयंत्रों को बेचने की योजना बनायी है।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में कदम उठाते हुए कंपनी गुजरात रिफाइनरी में अपनी हाइड्रोजन उत्पादक इकाई को बेचेगी। इसके अनुभव के आधार पर अन्य रिफाइनरियों में स्थित इकाइयों के बारे में निर्णय किया जाएगा।
यह बिक्री सरकार की राजस्व सृजित करने के लिये बेकार पड़ी या कम उपयोग वाली संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (बिक्री या पट्टे पर देना) की योजना के अनुरूप है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये हाइड्रोजन उत्पादक इकाइयां परिचालन में हैं। हम इसे लाइसेंस हासिल करने वाले इकाई को सौंपकर परिचालन दक्षता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
हाइड्रोजन मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस और नाफ्था से उत्पादित किया जाता है। इसका उपयोग मध्यवर्ती तेल उत्पादों के प्रसंस्करण और उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिये रिफाइन किये गये ईंधन से सल्फर हटाने में किया जाता है
बिक्री राशि में संपत्ति का मूल्य और परिचालन और रखरखाव शुल्क शामिल होगा जो नया परिचालनक आईओसी से लेगा।
वैद्य ने कहा कि ये इकाइयां रिफाइनरी परिसर में स्थित हैं और कंपनी एकमात्र बिक्रेता और ग्राहक (हाइड्रोजन की) होगी।
आईओसी गुजरात रिफाइनरी में हाइड्रोजन उत्पादक इकाई में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। इसकी क्षमता 70,000 टन सालाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके पीछे विचार यह है कि यह इकाई वैसे को दिया जाए, जो इसे बेहतर तरीके से चला सके। रिफाइनरी की अन्य इकाइयां हमारा प्रमुख कारोबार है...।’’
सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में बाजार पर चढ़ाने को लेकर संपत्तियों की पहचान की है। इससे 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाये जा सकते हैं। इसमें से 17,000 करोड़ रुपये आईओसी, गैस कंपनी गेल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) में पाइपलाइन में हिस्सेदारी बेचकर जुटाने की योजना है।
वैद्य ने कहा कि आईओसी ऊर्जा रणनीति पर काम कर रही है। इसमें लागत प्रभावी तरीके से हाइड्रोजन का उत्पादन शामिल है। साथ ही ऐसी प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है जिससे कॉम्प्रेस्ड प्राकृतिक गैस को हाइड्रोजन के साथ मिलाया जा सके।
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