निर्यात कारोबार सितंबर माह में 6.57 प्रतिशत घटा, व्यापार घाटा सात माह के निचले स्तर पर पहुंचा
By भाषा | Updated: October 16, 2019 03:20 IST2019-10-16T03:20:16+5:302019-10-16T03:20:16+5:30
एक साल पहले सितंबर 2018 में व्यापार घाटा 14.95 अरब डालर रहा था। आयात में यह गिरावट अगस्त 2016 के बाद सबसे बड़ी है। तब आयात में 14 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

File Photo
पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण और चमड़ा उत्पादों का निर्यात कम होने की वजह से सितंबर 2019 में लगातार दूसरे महीने देश का निर्यात कारोबार 6.57 प्रतिशत घटकर 26 अरब डालर रह गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर माह में आयात भी एक साल पहले इसी माह के मुकाबले 13.85 प्रतिशत घटकर 36.89 अरब डालर रह गया। निर्यात के साथ साथ आयात में भी गिरावट आने से व्यापार घाटा सात महीने के निचले स्तर 10.86 अरब डालर पर आ गया।
एक साल पहले सितंबर 2018 में व्यापार घाटा 14.95 अरब डालर रहा था। आयात में यह गिरावट अगस्त 2016 के बाद सबसे बड़ी है। तब आयात में 14 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आंकड़ों के मुताबिक सितंबर माह में सोने का आयात 62.49 प्रतिशत की जोरदोर गिरावट के साथ 1.36 अरब डालर रह गया।
उद्योगों के 30 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से सितंबर माह में 22 क्षेत्रों के निर्यात में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान रत्न एवं आभूषण का निर्यात 5.56 प्रतिशत, इंजीनियरिंग का 6.2 प्रतिशत और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 18.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान कुल निर्यात एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 2.39 प्रतिशत घटकर 159.57 अरब डालर रहा जबकि इस अवधि में आयात सात प्रतिशत घटकर 243.28 अरब डालर रह गया। इन छह महीनों की अवधि में व्यापार घाटा एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 98.15 अरब डालर से कम होकर 83.7 अरब डालर रह गया।
लुधियाणा स्थित निर्यातक एस सी रल्हन ने कहा कि निर्यात में गिरावट को रोकने के लिये सरकार को विदेश व्यापार नीति तुरंत जारी करनी चाहिये। भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि निर्यात में जारी गिरावट का रुख समूची अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिये ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि कर्ज की उपलब्धता और इसकी लागत एमएसएमई के लिये अभी भी परेशानी वाले क्षेत्र हैं। विशेषतौर पर माल निर्यातकों के लिये इसमें समस्या बरकरार है। सभी कृषि निर्यातों के मामले में ब्याज समानीकरण समर्थन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये।