लाइव न्यूज़ :

बैठक में बंगाल की जूट मिलों की ओर से बोरियों की आपूर्ति में कामी का मुद्दा उठा

By भाषा | Updated: July 1, 2021 22:51 IST

Open in App

कोलकाता, एक जुलाई पंजाब और हरियाणा जैसे खाद्यान्न उत्पादक राज्यों और अनाज खरीद एजेंसियों ने कपड़ा मंत्रालय के तहत जूट पर स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में पश्चिम बंगाल की जूट मिलों द्वारा जूट की बोरियों की आपूर्ति में कमी का मुद्दा उठाया। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के तहत काम करने वाले जूट की स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बुधवार को बैठक हुई जिसमें वर्ष 2021-22 में जूट की बोरियों में वस्तुओं की पैकेजिंग के लिए आपत्तियों की जांच, विचार और सिफारिश की गई।

इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राघव गुप्ता ने कहा, ‘‘हमने बैठक के पहले चरण में भाग लिया और समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी। हमने आश्वासन दिया कि आगामी भारी फसल उत्पादन के साथ, जूट मिलें सरकार को 34 लाख गांठ बोरी की आपूर्ति कर सकेंगी।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, उन्हें मिल मालिकों ने सामने रखा।

गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2020-21 के सत्र में, जूट उद्योग लॉकडाउन प्रेरित व्यवधानों के जूट के बोरी की पूरी आपूर्ति नहीं कर सका, और चक्रवात अम्फान के कारण भारी फसल का नुकसान हुआ, जिससे कच्चे जूट की कीमत में भारी वृद्धि हुई।

देश के लगभग 80 प्रतिशत पटसन के बोरे पश्चिम बंगाल की मिलों से प्राप्त होते हैं। सूत्रों ने कहा, ‘‘कई राज्य कम आपूर्ति होने से नाखुश थे। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग का मानना ​​है कि जेपीएम (जूट पैकेजिंग सामग्री) अधिनियम के जूट की बोरी के प्रयोग की अनिवार्यता संबंधी मौजूदा प्रावधानों में ढील दी जानी चाहिए।’’

जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम कहता है कि 100 प्रतिशत खाद्यान्न की पैकेजिंग जूट की बोरियों में होनी चाहिये।

सरकार ने 2021-22 के रबी सीजन के लिए उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन/पॉलीप्रोपाइलीन (एचडीपीई/पीपी) बैग के 7.7 लाख गांठ के उपयोग के लिए पहले ही छूट दे दी है।

आईजेएमए के सूत्रों ने आशंका जताई कि सरकार प्लास्टिक उद्योग के पक्ष में जेपीएम अधिनियम को स्थायी रूप से कमजोर करने पर विचार कर सकती है, जब राज्य में बंपर फसलों की उम्मीद है।

जूट मिल के सूत्रों ने कहा, ‘‘अगर (जेपीएम अधिनियम को स्थायी रूप से) कमजोर किया जाता है, तो लाखों किसान लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में विफल हो जाएंगे और जूट मिलों को बंद होने की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। राज्य में लगभग 70 मिलों में कार्यरत लगभग 2.5 लाख लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।’’

सरकार ने वर्ष 2020-21 सत्र तक खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए 100 प्रतिशत और जूट की बोरियों में चीनी के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखा है।

सूत्रों ने कहा कि उद्योग सचिव वंदना यादव ने स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतKerala local body polls 2025 results: NDA 42, LDF 22 और UDF 14 वार्ड पर आगे?, तिरुवनंतपुरम नगर निगम में पहली बार सत्ता हासिल करने की कगार पर

क्राइम अलर्टसदमे और दर्द में 11 वर्षीय बेटी, घर से बाहर थे माता-पिता, मकान मालिक ने किया रेप, आरोपी ने लड़की को जान से मारने की धमकी

भारतDelhi AQI: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर रेड जोन में पहुंचा, AQI ने तोड़ा रिकॉर्ड

भारतKerala Local Body Elections: ग्राम पंचायतों में एलडीएफ आगे, नगरपालिकाओं और निगमों में यूडीएफ आगे

भारतPunjab: अमृतसर के कई स्कूलों को मिली बम की धमकी, जल्द छात्रों को बाहर निकाला गया; जांच जारी

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: 13 दिसंबर की सुबह अपडेट हो गए पेट्रोल और डीजल के दाम, अपने शहर में दाम देखें

कारोबार445 रुपये बढ़ाकर 12,027 रुपये प्रति क्विंटल, कोपरा किसान को खुशखबरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिया तोहफा

कारोबारविकास और सेवा के 2 साल, 42 दिन में 42 नक्सलवादियों ने किया सरेंडर, सीएम मोहन यादव बोले-नदी जोड़ो अभियान तेज, मुख्य बातें

कारोबारकौन हैं अमन जैन?, मेटा इंडिया ने इस पद पर नियुक्त किया

कारोबारRupee vs Dollar: भारतीय रुपया गिरा धड़ाम, 24 पैसे टूटकर डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर