विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

By भाषा | Updated: July 12, 2021 20:19 IST2021-07-12T20:19:10+5:302021-07-12T20:19:10+5:30

Improvement in local oilseeds amid bullish trend overseas | विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन में सुधार

नयी दिल्ली, 12 जुलाई शिकागो एक्सचेंज में तेजी के रुख के बीच मांग निकलने से स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में ढाई प्रतिशत की तेजी रही जबकि मलेशिया एक्सचेंज मंदा रहा। विदेशी बाजारों में आई इस तेजी का स्थानीय कारोबार में तेल-तिलहनों के भाव पर अनुकूल असर हुआ।

उन्होंने कहा कि अभी से जो सरसों की मांग है, उसे देखते हुए सहकारी संस्था को आगामी बिजाई के लिए बाजार भाव पर सरसों खरीद लेनी चाहिये ताकि उनकी पेराई मिलें भी चलें और अगली फसल के लिए सरसों के बीज उपलब्ध रहें। सरसों के बीज का इंतजाम न होने से कहीं इसका भी सोयाबीन जैसा हाल न हो, इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार की ओर से तिलहन की खरीद करने वाली सहकारी संस्था- हाफेड और नाफेड के पास कोई स्टॉक नहीं है जबकि पिछले साल इस वक्त ये संस्थायें डेढ़ से दो लाख टन सरसों की बिक्री कर रही थीं और तब इन संस्थाओं के पास पर्याप्त स्टॉक बचा हुआ था।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कम है और किसान रोक रोक कर माल ला रहे हैं। आने वाले दिनों में बरसात के मौसम और पर्व त्यौहार के मौकों पर मांग और बढ़ेगी जिसके लिए तैयारी रखनी होगी। उन्होंने कहा कि सरसों की कम उपलब्धता और निरंतर मांग निकलने से सलोंनी, आगरा और कोटा में सरसों तिलहन का भाव 7,550 रुपये से बढ़ाकर 7,650 रुपये प्रति क्विन्टल कर दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि हरियाणा में कृषि बाजार समितियों की नींद तब खुली जब किसान अपना लगभग 80 प्रतिशत माल बेच चुके हैं। मंडी शुल्क की प्राप्ति पिछले साल के मुकाबले काफी कम रहने के कारण सरसों फसल आने के लगभग चार महीने के बाद सरसों की बिक्री के लिए जिन किसानों ने बाजार समितियों में पंजीकरण कराया था, उन किसानों से पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने सरसों को कहां बेचा।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन रिफाइंड की कमी की स्थिति में आयात के जरिये घरेलू मांग को पूरा किया जा सकता है लेकिन सरसों दाने की किल्लत को किसी भी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है क्योंकि सरसों का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है।

उन्होंने कहा कि मांग होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए जबकि स्थानीय खपत की मांग होने से बिनौला, सोयाबीन तेल तिलहन में भी सुधार आया। विदेशी बाजारों की तेजी को देखते हुए सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी सुधार के साथ बंद हुईं।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,405 - 7,455 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,595 - 5,740 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,800 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,125 - 2,255 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,390 -2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,490 - 2,600 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,000 - 17,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,160 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,850 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,850 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,470 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,250 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,460 रुपये।

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Web Title: Improvement in local oilseeds amid bullish trend overseas

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