खाद्य तेलों में मांग बढ़ने से सुधार जारी, किसानों के लिये काला सोना साबित हुआ सरसों

By भाषा | Published: May 12, 2021 06:59 PM2021-05-12T18:59:34+5:302021-05-12T18:59:34+5:30

Improvement in demand for edible oils continues, mustard turns out to be black gold for farmers | खाद्य तेलों में मांग बढ़ने से सुधार जारी, किसानों के लिये काला सोना साबित हुआ सरसों

खाद्य तेलों में मांग बढ़ने से सुधार जारी, किसानों के लिये काला सोना साबित हुआ सरसों

नयी दिल्ली, 12 मई विदेशों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय के साथ साथ निर्यात मांग के कारण बुधवार को तेल तिलहन बाजार में सोयाबीन तेल, सरसों तेल- तिलहन, सीपीओ तथा पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार दिखा और कीमतें लाभ दर्शाती बंद हुई। इस बार सरसों की फसल किसानों के लिये काला सोना साबित हुई है, उन्हें इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की अगली पैदावार बम्पर हो इसके लिए जरुरी है कि सोयाबीन बीज के लगभग डेढ़ लाख टन दाने का अभी से इंतजाम रखा जाये। सोयाबीन दाने और डीओसी की इस मांग को देखते हुए विदेशों में भाव ऊंचे बोले जाने लगे हैं। शिकागो एक्सचेंज में कल रात से लगभग तीन प्रतिशत की तेजी होने और मांग बढ़ने से सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 100 रुपये, 50 रुपये और 400 रुपये का सुधार दर्शाते बंद हुए।

सोयाबीन मील की कमी को देखते हुये अखिल भारतीय पाल्ट्री ब्रीडर्स एसोसियेसन ने विदेशों से शुल्क मुक्त सोयाबीन मील के आयात की मांग की है। भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने भी 12 लाख टन सोयाबीन मील के शुल्क मुक्त आयात की सिफारिश की है।

हरियाणा में जींद के किसानों का कहना है कि इस बार सरसों की फसल उनके लिये काला सोना साबित हुई है। जिन किसानों ने गेहूं फसल कटाई के समय सरसों नहीं बेची उनको अब 7,000 रुपये क्विंटल से ऊंचे दाम मिल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि देश में यदि सरसों, सोयाबीन का उत्पादन बढ़ता है तो डीओसी आयात करने की नोबत नहीं आयेगी। विदेशों से खाद्य तेलों का आयात भी कम होगा उसपर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा बचेगी। साथ ही घरेलू तेल उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि तेल तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये किसानों को इसके बेहतर दाम मिलना जरूरी है। इसके लिये इनकी घरेलू कीमतें थोड़ी बहुत ऊंची भी रहती हैं तो कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को उसका लाभ ही मिलेगा। खाद्यतेल कीमत में 40 - 50 रुपये किलो की वृद्धि का उपभोक्ताओं पर कोई असहनीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि खाद्य तेलों की दैनिक खपत में छोटा हिस्सा है। दूसरी तरफ किसानों के हाथ पैसा आने से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और यह पैसा देश की आर्थिक प्रणाली का ही हिस्सा बनेगा।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 7,590 - 7,640 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 6,435 - 6,480 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,750 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,515 - 2,575 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,415 -2,465 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,515 - 2,615 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,000 - 18,500 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,950 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,700 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,400 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,450 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,800 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,400 रुपये।

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