एचएसबीसी ने महामारी से प्रभावित डब्बावाला की सहायता के लिए 15 करोड़ रुपये सहायता की घोषणा की
By भाषा | Published: June 17, 2021 09:55 PM2021-06-17T21:55:15+5:302021-06-17T21:55:15+5:30
मुंबई, 17 जून विदेशी ऋणदाता, एचएसबीसी ने बृहस्पतिवार को देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के डब्बावालों को समर्थन देने के लिए 15 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की। घर, दफ्तर में खाने के डिब्बों की आपूर्ति करने वाले ये लोग मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से ही खाली बैठे हैं। दफ्तर जाने वाले ज्यादातर लोग घर पर ही काम कर रहे हैं। इससे डब्बवालों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है।
एक सरकारी बयान में कहा गया कि डब्बावालों को आम तौर पर शहर की लोकल ट्रेनों, भीड़-भाड़ वाले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और आवासीय क्षेत्रों में देखा जाता रहा है। डब्बावालों को बैंक की इस सहायता के तहत खाद्य सुरक्षा, जीवन बीमा, उनके परिवारों के लिए शिक्षा सहायता और लॉकडाउन हटने के बाद नई साइकिल के रूप में आजीविका सहायता मिलेगी।
डब्बावाले टिफिन पहुंचाने वालों का एक बहुत ही जटिल नेटवर्क है। ये लोग किसी नौकरी करने वाले के घर से टिफिन उठाते हैं, उसे उपनगरीय रेलों से होते हुये दूसरे व्यक्ति के सुपुर्द करते हैं और अंत में साइकिल के जरिये खाने का डिब्बा (टिफिन) संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है।
इस नेटवर्क को - फिल्म 'लंचबॉक्स' में दर्शाया गया था। दोपहर में लंच समाप्त होने के बाद ये टिफिन वापस उठाये जाते हैं और वापस घरों में अपने स्थान तक पहुंचते हैं।
भारत में बैंक के अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी हितेंद्र दवे ने कहा कि ये डब्बावाला महानगर के कामकाजी लोगों का अभिन्न अंग हैं जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उनके जीवन यापन का संकट उत्पन्न हुआ है।
बैंक डब्बावालों तक पहुंचने और मदद करने के लिए एनजीओ यूनाइटेड वे मुंबई के साथ काम कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह वित्तीय सहायता इन चुनौतीपूर्ण समय के दौरान डब्बावालों को प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में मदद करेगी।
एचएसबीसी के बयान में कहा गया है कि डब्बवाला रोजाना दो लाख लोगों को सेवा देते रहे हैं। लेकिन महामारी के कारण उनका पूरा काम ठप हो गया। महामारी के कारण ज्यादातर लोग घर से ही काम करने लगे हैं, इससे भी उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ा है।
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