जीएसटी की समस्या ऐसी नहीं जो हल न हो सके, नोटबंदी सोचा समझा कदम नहीं: रघुराम राजन
By भाषा | Published: April 12, 2018 02:13 PM2018-04-12T14:13:50+5:302018-04-12T14:13:50+5:30
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि, जीएसटी का क्रियान्वयन यदि बेहतर तरीके से होता तो यह अच्छा होता।
न्यूयॉर्क, 12 अप्रैल। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन ऐसी समस्या नहीं है, जो हल नहीं हो सकती। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि नोटबंदी सोच समझकर उठाया गया कदम नहीं था। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जीएसटी और नोटबंदी जैसे महत्वाकांक्षी सुधारों पर रघुराम राजन ने कहा कि अच्छा होता यदि इनका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से किया जाता।
राजन ने कैंब्रिज में बुधवार को हार्वर्ड केनेडी स्कूल में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी का क्रियान्वयन यदि बेहतर तरीके से होता तो यह अच्छा होता। हालांकि, यह ऐसी समस्या नहीं है जिसका हल नहीं हो सकता। हम इस पर काम कर सकते हैं। अभी मैंने इस पर उम्मीद नहीं छोड़ी है।
नोटबंदी पर राजन ने इस दावे को खारिज किया कि सरकार द्वारा 1,000 और 500 का नोट बंद करने की घोषणा से पहले रिजर्व बैंक से सलाह मशविरा नहीं किया गया था। नवंबर , 2016 में नोटबंदी हुई थी। राजन ने दोहराया कि 87.5 प्रतिशत मूल्य की मुद्रा को रद्द करना अच्छा कदम नहीं था।
राजन ने कहा कि, मैंने कभी यह नहीं कहा कि मुझसे विचार विमर्श नहीं किया गया था। वास्तव में मैंने स्पष्ट किया था कि हमारे साथ इस पर विचार विमर्श हुआ था और हमारा मानना था कि यह अच्छा विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी सोच विचारकर उठाया गया कदम नहीं था। कोई भी अर्थशास्त्री यही कहेगा कि यदि 87.5 प्रतिशत मुद्रा को रद्द करना है तो पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उतनी ही मुद्रा छापकर उसे प्रणाली में डालने के लिए तैयार रखा जाए।
उन्होंने कहा कि भारत ने इसे किए बिना नोट बंद कर दिए थे। इसका नकारात्मक आर्थिक प्रभाव था। इसके पीछे यह भी सोचना था कि नोटबंदी के बाद बेसमेंट में नोट छुपाकर रखने वाले लोग सामने आएंगे और सरकार से माफी मांगकर कहेंगे कि हम इसके लिए कर देने को तैयार हैं।
पूर्व गवर्नर ने कहा , जो भी भारत को जानता है , उसे पता है कि जल्द ही वह प्रणाली के आसपास इसका तरीका ढूंढ लेगा। राजन ने कहा कि जितने भी नोट बंद किए गए थे, वे प्रणाली में वापस आ गए। नोटबंदी का सीधा प्रभाव वह नहीं था , जैसा सोचा जा रहा था।