नई दिल्ली: लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रमुख दाल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए मसूर दाल पर वर्तमान प्रभावी शून्य आयात शुल्क को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। इस फैसले से कीमते नियंत्रण में रहेंगी जिससे लोगों की जेब पर बोझ नहीं पड़ेगा।
हालांकि, सरकार ने तीन कच्चे खाद्य तेलों - पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर मौजूदा आयात शुल्क संरचना को नहीं बढ़ाया है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मसूर पर शून्य आयात शुल्क के साथ-साथ 10 प्रतिशत कृषि-इंफ्रा उपकर की छूट मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि कुछ दालों में, हम उतना उत्पादन नहीं करते जितना हम उपभोग करते हैं। आयात नीति की स्थिरता के लिए, मसूर पर मौजूदा छूट को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि उत्पादक देशों के किसानों को भारत से स्पष्ट संकेत मिल सके और वे अपनी योजना बना सकें।
गौरतलब है कि जुलाई 2021 में मसूर पर मूल आयात शुल्क शून्य कर दिया गया, जबकि फरवरी 2022 में 10 प्रतिशत कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर से छूट दी गई। तब से इसे कई बार बढ़ाया गया और वर्तमान में यह मार्च 2024 तक वैध था।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अधिसूचना केवल मसूर के लिए शून्य शुल्क और कृषि-इंफ्रा सेस की छूट बढ़ाने के लिए है, तीन कच्चे खाद्य तेलों के लिए नहीं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और आयातक है। 2022-23 के दौरान इसने 24.96 लाख टन का आयात किया।