वित्त वर्ष 2020- 21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत, कुल प्राप्ति के दुगुने से अधिक खर्च

By भाषा | Updated: May 31, 2021 21:58 IST2021-05-31T21:58:34+5:302021-05-31T21:58:34+5:30

Fiscal deficit of 9.3 percent of GDP in FY 2020-21, spending more than double the total receipt | वित्त वर्ष 2020- 21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत, कुल प्राप्ति के दुगुने से अधिक खर्च

वित्त वर्ष 2020- 21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत, कुल प्राप्ति के दुगुने से अधिक खर्च

नयी दिल्ली, 31 मई राजकोषीय घाटा गत मार्च में समाप्त वित्त वर्ष 2020- 21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 प्रतिशत रहा । यह संशोधित बजट अनुमान के 9.5 प्रतिशत से कम है।

कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी के प्रभावित पिछले वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने कुल प्राप्तियों के मुकाबले दुगुने से भी अधिक व्यय किया।

वर्ष के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन और प्रतिबंधों के कारण आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ा।

वर्ष के दौरान सम्पूर्ण अंक में राजकोषीय घाटा 18 लाख 21 हजार 461 करोड़ (अनंतिम) रुपये रहा ।

महा लेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा सोमवार को जारी राजस्व- व्यय रपट के मुताबिक वर्ष के दौरान राजस्व घाटा 7.42 प्रतिशत रहा।

सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में कर राजस्व प्राप्तियां बजट के संशोधित अनुमान का 105.9 प्रतिशत रही। आंकड़ों के मुताबिक 2020- 21 में सरकार को 16 लाख 89 हजार 720 करोड़ रुपये रुपये की कुल प्राप्ति हुई जो कि संशोधित बजट अनुमान का 105.50 प्रतिशत है। इस में 14 लाख 24 हजार 035 करोड़ रुपये कर राजस्व (केन्द्र को प्राप्त निवल कर) और 2 लाख 08 हजार 059 करोड़ रुपये का गैर- कर राजस्व शामिल है।

इसके अलावा 57 हजार 626 करोड़ रुपये की गैर- रिण पूंजी प्राप्तियां इसमें शामिल हैं जिनमें कर्ज वसूली और विनिवेश से प्राप्त राशि शामिल हैं।

इस दौरान सरकार का कुल खर्च 35 लाख 11 हजार 181 करोड़ रुपये रहा।

यह राशि 2020- 21 के संशोधित अनुमान के 101.76 प्रतिशत के बराबर है।

कुल व्यय में से 30 लाख 86 हजार 360 करोड़ रुपये राजस्व खाते में और चार लाख 24 हजार 821 करोड़ रुपये पूंजी खाते में खर्च किये गये।

इस तरह पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने कुल प्राप्तियों के दुगुने से भी अधिक राशि खर्च किया।इसका बड़ा हिस्सा राजस्व खाते में खर्च हुआ। पूंजी खाते में खर्च केवल चार लाख 24 हजार करोड़ रुपये रहा।

राजस्व खाते में 6 लाख 82 हजार 079 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 6 लाख 89 हजार 545 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के तौर पर खर्च किए गये।

आंकड़ों के मुताबिक केन्द्र सरकार ने 5 लाख 94 हजार 997 करोड़ रुपये केन्द्रीय करों में उनके हिस्से के तौर पर राज्यों को जारी किये। यह राशि 2019- 20 में जारी राशि के मुकाबले 55 हजार 680 करोड़ रुपये कम है।

सरकार ने 2020- 21 के लिये शुरुआत में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 प्रतिशत यानी 7.96 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था। उसके बाद कोरोना संक्रमण की वजह से इसके संशोधित अनुमान को बढ़ाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया गया।

चालू वित्त वर्ष 2021- 22 के लिये सरकार ने राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पहले 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 4.6 प्रतिशत रहा था। यह सात साल का उच्चस्तर था। राजस्व प्राप्तियां कमजोर रहने की वजह से घाटा बढ़ा।

महा लेखा नियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले माह अप्रैल 2021 में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 5.2 प्रतिशत रहा। जबकि पिछले साल अप्रैल में राजकोषीय घाटा पूरे साल के बजट अनुमान का 35.1 प्रतिशत रहा था। अप्रैल 2020 में पूरे महीने देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था। पूरे महीने आर्थिक गतिविधियां बंद रही थीं।

फरवरी 2021 को पेश वर्ष 2021- 22 के बजट में राजकोषीय घाटा 15 लाख 06 हजार 812 करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

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Web Title: Fiscal deficit of 9.3 percent of GDP in FY 2020-21, spending more than double the total receipt

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