लाइव न्यूज़ :

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से भारत में आजीविका संकट गहराने की आशंका: अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज

By भाषा | Updated: May 11, 2021 19:51 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 11 मई जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बीच कामकाजी वर्ग के लिये स्थिति इस बार बदतर लग रही है और इससे भारत में ‘आजीविका संकट’ गहराने की आशंका है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी की रोकथाम के लिये राज्यों के स्तर पर लगाया गया ‘लॉकडाउन’ देशव्यापी बंद जैसी ही स्थिति है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत में यह भी कहा कि सरकार का 2024-25 तक देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य कभी भी ‘व्यवहारिक लक्ष्य’ नहीं था।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव के बारे में द्रेज ने कहा कि जहां तक कामकाजी लोगों का सवाल है, स्थिति पिछले साल से बहुत अलग नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ का प्रभाव उतना विनाशकारी संभवत: नहीं होगा जो राष्ट्रीय स्तर पर लगायी गयी तालाबंदी का था। लेकिन कुछ मामलों में चीजें इस बार कामकाजी समूह के लिये ज्यादा बदतर है।’’

अर्थशास्त्री ने कहा कि इस बार संक्रमण फैलने की आशंका अधिक व्यापक है और इससे आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर आने में समय लगेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘व्यापक स्तर पर टीकाकरण के बावजूद, इस बात की काफी आशंका है कि रूक-रूक कर आने वाला संकट लंबे समय तक बना रहेगा।’’

द्रेज ने कहा, ‘‘पिछले साल से तुलना की जाए तो लोगों की बचत पर प्रतिकूल असर पड़ा। वे कर्ज में आ गये। जो लोग पिछली बार संकट से पार पाने के लिये कर्ज लिये, वे इस बार फिर से ऋण लेने की स्थिति में नहीं होंगे।’’

उन्होंने कहा कि पिछले साल राहत पैकेज दिये गये थे लेकिन आज राहत पैकेज की कोई चर्चा तक नहीं है।

अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘दूसरी तरफ, स्थानीय लॉकडाउन जल्दी ही राष्ट्रीय लॉकडाउन में बदल सकता है। वास्तव में जो स्थिति है, वह देशव्यापी तालाबंदी जैसी ही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संक्षेप में अगर कहा जाए तो हम गंभीर आजीविका संकट की ओर बढ़ रहे हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि सरकार कैसे कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के अनुमान से चूक गयी, द्रेज ने कहा कि भारत सरकार हमेशा से इनकार की मुद्रा में रही है। ‘‘...सरकार लंबे समय तक कोविड के समुदाय के बीच फैलने की बात से इनकार करती रही है, जबकि रिकार्ड में मामले लाखों में थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब आधिकारिक आंकड़ों के एक प्रारंभिक विश्लेषण ने स्वास्थ्य सेवाओं में कमी का खुलासा किया, तो सरकार ने आंकड़े को वापस ले लिया।’’

अर्थशास्त्री ने कहा कि जनता को यह आश्वस्त करने के लिये कि सब ठीक हैं, भ्रामक आँकड़ों का सहारा लिया गया। ‘‘संकट से इनकार करना इसे बदतर बनाने का सबसे विश्वस्त तरीका है। हम अब इस आत्मसंतोष की कीमत चुका रहे हैं।’’

स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार को सुबह जारी आंकड़े के अनुसार पिछले 24 घंटे में देश में कोविड-19 के 3.29 लाख मामले सामने आए जबकि संक्रमण के कारण 3,876 लोगों की मौत हो गयी।

उन्होंने कहा कि भारत में खासकर सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की अनदेखी का लंबा इतिहास रहा है और हम आज उसी की कीमत चुका रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिये स्वास्थ्य से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं। इसके बावजूद भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च दशकों से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का एक प्रतिशत बना हुआ है।

एक सवाल के जवाब में पूर्व संप्रग शासन में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएससी) से जुड़े रहे द्रेज ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा सहायता कार्यक्रम जैसे मौजूदा समाजिक सुरक्षा योजनाओं और कानून के तहत काफी कुछ किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सभी राशन कार्डधारकों को प्रस्तावित दो महीने के बजाए लंबे समय तक पूरक खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध कराया जा सकता है। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली का दायरा बढ़ाया जा सकता है।

द्रेज के अनुसार, ‘‘मौजूदा योजनाओं के अलावा मुझे लगता है कि बेहतर रूप से तैयार, समावेशी नकदी अंतरण कार्यक्रम उपयोगी साबित होगा।’’

एक अन्य सवाल के जवाब में बेल्जियम में जन्में भारतीय अर्थशात्री ने कहा, ‘‘भारत को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य कभी भी व्यवहारिक लक्ष्य नहीं था। इस लक्ष्य का मकसद केवल भारत के अभिजात वर्ग की महाशक्ति की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना है।’’

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Local Body Polls Result: महायुति 214, एमवीए 49, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी, जानें किस पार्टी को कितनी सीटें

क्रिकेटस्मृति मंधाना श्रीलंका के खिलाफ पहले T20I में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल करने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर बनी

भारतस्थानीय निकाय चुनावः 286 में से 212 सीट पर जीत?, अशोक चव्हाण बोले- भाजपा के 3,300 पार्षद निर्वाचित, जनवरी 2026 में 29 नगर निगमों चुनावों पर असर दिखेगा?

भारतबिहार में फाइनेंस कंपनियों के कर्ज से परेशान लोग आत्महत्या करने को मजबूर, पुलिस ने लिया गंभीरता से, ईओयू को दी कार्रवाई की जिम्मेदारी

भारतमुंबई निगम चुनावः नगर परिषद और पंचायत में करारी हार?, ठाकरे-पवार को छोड़ वीबीए-आरपीआई से गठजोड़ करेंगे राहुल गांधी?

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारनागपुर नगर निगम चुनावः अगला महापौर भाजपा से हो, नितिन गडकरी ने कहा-विकास कार्य केवल एक ट्रेलर, "फिल्म अभी शुरू होनी बाकी है"

कारोबारPetrol, Diesel Price Today: आज के ईंधन के दाम: दिल्ली, मुंबई से लेकर पटना तक; जानें अपने शहर में पेट्रोल-डीजल के ताजा रेट

कारोबारPost Office Scheme: 1000 हजार रुपये से शुरू करें पोस्ट ऑफिस की ये स्कीम, 5 साल बाद मिलेगा 4 लाख का निवेश; जानें कैसे मिलेगा फायदा

कारोबारअब UPI और ATM से निकाल सकेंगे PF का पैसा, जानें तरीका और इसके फायदे

कारोबारखरीफ के लिए 425 करोड़ रुपए, किसानों से दलहन-तिलहन उपार्जन की केन्द्र ने दी स्वीकृति