कॉमर्शियल सेक्टर में फंड का फ्लो लगभग रुक सा गया है। वित्तीय लेनदेन में लगभग 88 परसेंट की तेज गिरावट देखने को मिली है। ये हालात इसी फाइनेंशियल ईयर के अभी तक 6 माह पूरे होने पर हैं। ये स्थिति अर्थव्यवस्था में एक गंभीर मंदी का संकेत है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए डेटा के अनुसार 2019-20 (अप्रैल से लेकर मध्य सितंबर) तक बैंक और नॉन बैंक कॉमर्शियल सेक्टर के फंड का फ्लो 90,995 करोड़ रुपये रहा। जबकि पिछले साल इसी समयावधि में फंड का फ्लो 7,36,087 करोड़ रुपये था। कॉमर्शियल सेक्टर में खेती, मैन्युफैक्चरिंग और परिवहन शामिल नहीं है।
बुरे दौर से गुजर रहे फाइनेंशियल सेक्टर के साथ कॉमर्शियल सेक्टर से गैर जमा लेने वाली एनबीएफसी और जमा लेने वाली एनबीएफसी में 1,25,600 करोड़ रुपये का रिवर्स फ्लो हुआ जबकि इसी समयावधि में पिछले साल 41,200 करोड़ रुपये का फ्लो हुआ था।
कॉमर्शियल सेक्टर में बैंकों द्वारा होने वाला नॉन फूड क्रेडिट फ्लो भी घटकर 1,65,187 करोड़ से घटकर 93,688 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि गैर बैंक स्त्रोतों से होने वाली फंडिंग में वृद्धि हुई है। विदेशी स्त्रोतों के बीच बाहरी कॉमर्शियल उधार और फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) में तेज वृद्धि दर्ज की गयी है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुख्य रूप से कमजोर मांग और जोखिम में कमी दिखाते हुये कॉमर्शियल सेक्टर में वित्तीय प्रवाह कम हुआ है। आरबीआई ने पूर्वानुमान लगाते हुए अगस्त 2019-20 में जीडीपी की ग्रोथ रेट को 6.9 से घटाकर 6.1 परसेंट कर दिया था। रेटिंग फर्म क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2020 में विकास दर कम रहने की उम्मीद है।