दास ने कहा, पेट्रोल-डीजल पर ऊंचे करों को लेकर चिंता जता चुके हैं, गेंद सरकार के पाले में

By भाषा | Updated: October 8, 2021 15:01 IST2021-10-08T15:01:15+5:302021-10-08T15:01:15+5:30

Das said, have expressed concern about high taxes on petrol and diesel, the ball is in the government's court | दास ने कहा, पेट्रोल-डीजल पर ऊंचे करों को लेकर चिंता जता चुके हैं, गेंद सरकार के पाले में

दास ने कहा, पेट्रोल-डीजल पर ऊंचे करों को लेकर चिंता जता चुके हैं, गेंद सरकार के पाले में

मुंबई, आठ अक्टूबर रिजर्व बैंक ने वाहन ईंधन पर ऊंचे अप्रत्यक्ष करों के मुद्रास्फीति प्रभाव को लेकर चिंता जताई है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि इस मुद्दे पर फैसला सरकार को करना है। उल्लेखनीय है कि पेट्रोल, डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से आम लोग परेशान हैं।

दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा के अवसर पर दूसरी बार सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे को लेकर चिंता जताई है। पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में भी उन्होंने वाहन ईंधन कीमतों को लेकर चिंता जताई थी। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने दलहन और खाद्य तेलों आदि के मामले में आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल किया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट के बाद सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर शुल्कों और उपकर में भारी बढ़ोतरी की थी। इससे सरकार के राजस्व संग्रह में काफी वृद्धि हुई है।

इस समय देश में पेट्रोल 100 रुपये के पार हो चुका है। वहीं डीजल शतक के करीब है।

दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘ईंधन पर अप्रत्यक्ष करों के अलावा कई अन्य मुद्दे हैं जिनपर फैसला सरकार को करना है। सरकार और रिजर्व बैंक इन मुद्दों पर लगातार बातचीत करते रहते हैं। हम सरकार को समय-समय पर अपनी चिंता से अवगत कराते हैं।’’

उन्होंने कहा कि जहां तक पेट्रोल और डीजल की बात है, हम इस मुद्दे पर चिंता जता चुके हैं। ‘‘अब इस पर फैसला सरकार को करना है। इससे अधिक मैं कुछ नहीं कह सकता।’’

उन्होंने सरकार द्वारा आपूर्ति पक्ष की अड़चनों को दूर करने के लिए उठाए गए अन्य कदमों की सराहना की। दास ने बताया कि अब सरकार दलहनों के आयात के लिए कुछ पड़ोसी देशों के साथ बातचीत कर रही है।

यहां उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया गया है।

केंद्र सरकार पूर्व में कह चुकी है कि वाहन ईंधन पर करों में कटौती के लिए केंद्र और राज्यों की ओर से सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है। साथ ही सरकार लगातार कहती रही है कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा जारी तेल बांडों की वजह से उसे ऊंचा कर लेना पड़ रहा है।

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