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‘बांध, जलविद्युत परियोजनाएं पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं, प्रमाणिक अध्ययन हो ’

By भाषा | Updated: February 24, 2021 17:09 IST

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नयी दिल्ली, 24 फरवरी बिजली मंत्री आर के सिंह ने बांधों और जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान की आशंका को खारिज करतें बुधवार को विशेषज्ञों से सच्चाई का पता लगाने के लिये प्रामाणिक और वैज्ञानिक अध्ययन करने को कहा।

बांध और नदी बेसिन के स्वस्थ विकास विषय पर आयोजित संगोष्ठि में सिंह ने कहा, ‘‘मैंने पर्यावरण के विज्ञान को नुकसान होते नहीं देखा है। मैं इसमें (जल संग्रहण में) प्रगति का विज्ञान देखता हूं। पंजाब और हरियाणा विकसित हुए और वे आज जहां हैं, उसका कारण भाखड़ा नांगल बांध है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप बिहार के किसी व्यक्ति से पूछे तो उसकी दिली इच्छा नेपाल में कोसी नदी पर बड़े बांध के निर्माण की होगी। जहां भी हमने बड़े बांध बनाए, हमने लोगों के जीवन...उत्पादन में सुधार लाया। हमें यह संदेश देने की जरूरत है।’’

मंत्री ने देश में जल भंडारण या बांध परियोजनाओं को लेकर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिकूल रुख का जिक्र किया। उनका यह दावा है कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में एक या दो दशकों से बिना वैज्ञानिक अध्ययन के एनजीओ इन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं।’’

फिलहाल देश में 14,000 मेगावाट की पनबिजली उत्पादन क्षमता का विकास किया जा रहा है।

सिंह ने कहा, ‘‘पिछले दशक में भी जल संसाधन के उपयोग के मामले में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जल संसाधनों के विकास, बांधों से जुड़ी परियोजनाओं के विरोध में समन्वित रूप से आंदोलन चलाये गये।’’

उन्होंने कहा कि ये चीजें अभी भी हैं, जिसका हमें समाधान करना है।

मंत्री ने कहा कि हमें सबसे पहले यह स्वीकार करना है कि सभ्यता की शुरूआत के साथ जल का उपयोग लोग करते आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले नील नदी (मिस्र) पर बांध की शुरूआत हुई। वहां जल का बड़े स्तर पर उपयोग ईसा पूर्व से हो रहा है। ऐसा नहीं है कि यह अब हो रहा है।’’

सिंह ने कहा कि विरोध के पीछे विचार यह है कि अगर आप किसी तरीके से पानी के प्राकृतिक प्रवाह को रोकते हैं, तब इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हैं

उन्होंने कहा कि जल भंडारण या बांध परियोजनाएं पानी के कुदरती प्रवाह को नहीं रोकती और केवल अतिरिक्त प्रवाह का उपयोग भंडारण में होता है ताकि उसका उपयोग जरूरत के अनुसार हो।

सिंह ने कहा, ‘‘क्या इससे पर्यावरण को नुकसान हुआ है? क्या ऐसा कोई अध्ययन है? मुझे लगता है कि आपको इस संदर्भ में एक अध्ययन शुरू करने की जरूरत है जिससे यह पता लगाया जाए कि क्या पर्यावरण को वाकई में नुकसान हो रहा है...हमें इस पर एक प्रामाणिक अध्ययन की जरूरत है।’’

मंत्री ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जल भंडारण परियोजनाएं जरूरी हैं। ‘‘प्रत्येक विकसित देशों ने अपनी 80 से 90 प्रतिशत जलविद्युत क्षमता का उपयोग किया है।

उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में ग्रिड के सुचारू रूप से कार्य (बैलेसिंग पावर) करने के लिये जलविद्युत भंडारण परियोजनाएं जरूरी हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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