अदालत ने वेदांता, ओएनजीसी के साथ तेल समझौते को 2030 तक बढ़ाने का आदेश रद्द किया
By भाषा | Updated: March 26, 2021 12:09 IST2021-03-26T12:09:26+5:302021-03-26T12:09:26+5:30

अदालत ने वेदांता, ओएनजीसी के साथ तेल समझौते को 2030 तक बढ़ाने का आदेश रद्द किया
नयी दिल्ली, 26 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एकल न्यायाधीश के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें राजस्थान स्थित बाड़मेर ब्लॉक से तेल का उत्पादन करने के लिए केन्द्र को वेदांता, ओएनजीसी के साथ अपने अनुबंध को 2030 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने 31 मई 2018 के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील को स्वीकर किया। एकल न्यायाधीश के आदेश में वेदांता, जिसका नाम पहले केयर्न इंडिया था, के पक्ष में फैसला दिया गया था।
इस ब्लॉक में सरकारी कंपनी ओएनजीसी भी 30 प्रतिशत की हिस्सेदार है। बाकी हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड के पास है।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि वेदांता के साथ उत्पादन साझेदारी समझौता (पीएससी) नई नीति के तहत आएगा। कंपनी ने इसका विरोध किया।
एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि वेदांता अनुबंध के विस्तार के लिए हकदार थी। इस समझौते को 2020 में खत्म होना था।
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