नयी दिल्ली, दो अगस्त देश का निर्यात जुलाई में 47.19 प्रतिशत बढ़कर 35.17 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पेट्रोलियम, इंजीनियरिंग और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की वजह से कुल निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में आयात भी 59.38 प्रतिशत की वद्धि के साथ 46.40 अरब डॉलर रहा। इस तरह व्यापार घाटा 11.23 अरब डॉलर रहा।
समीक्षाधीन महीने में पेट्रोलियम निर्यात बढ़कर 3.82 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इंजीनियरिंग निर्यात 2.82 अरब डॉलर और रत्न एवं आभूषण निर्यात 1.95 अरब डॉलर रहा।
हालांकि, जुलाई में तिलहन, चावल, मांस, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, जुलाई में पेट्रोलियम, कच्चे तेल और उत्पादों का आयात 97 प्रतिशत बढ़कर 6.35 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सोने का आयात 135.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसी तरह मोती, बहुमूल्य और उपरत्नों का आयात 1.68 अरब डॉलर रहा।
हालांकि, माह के दौरान परिवहन उपकरणों, परियोजना सामान तथा चांदी के आयात में गिरावट आई।
आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा बेल्जियम को निर्यात बढ़कर क्रमश: 2.4 अरब डॉलर, 1.21 अरब डॉलर और 48.9 करोड़ डॉलर रहा।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि में निर्यात 73.86 प्रतिशत बढ़कर 130.56 अरब डॉलर रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 75.10 अरब डॉलर रहा था।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि जुलाई तक भारत का वस्तुओं का निर्यात 400 अरब डॉलर के लक्ष्य का 32.64 प्रतिशत रहा है। अगले आठ माह का लक्ष्य 269.44 अरब डॉलर या 33.68 अरब डॉलर प्रतिमाह का है।
निर्यात के आंकड़ों पर निर्यातकों के संगठन फेडेरशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष ए. शक्तिवेल ने कहा कि इस अवधि में वैश्विक मांग मजबूत रही है। निर्यातकों की ऑर्डर बुकिंग की स्थिति काफी अच्छी है।
उन्होंने कहा कि अब समय की जरूरत निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) दरों को अधिसूचित करने की जिससे व्यापार और उद्योग के मन से असमंजस को दूर किया जा सके।
शक्तिवेल ने कहा कि इसके अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों मसलन निर्यात क्षेत्र को प्राथमिकता का दर्जा, भारत से वस्तुओं के निर्यात की योजना (एमईआईएस) के लिए आवश्यक कोष जारी करने, जोखिम वाले निर्यातकों के मुद्दे को हल करने तथा खाली कंटेनरों का प्रवाह बढ़ाने की जरूरत है।
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