नयी दिल्ली, 15 नवंबर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के मंत्रियों के एक घोषणा पत्र में कहा गया है कि भारत इस समूह में शामिल होने को लेकर लिखित अनुरोध करता है, तो इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश उसकी भागीदारी पर बातचीत करने के लिये तैयार हैं।
गौरतलब है कि आरसीईपी की बातचीत में भारत के हित के कुछ मुद्दों का हल नहीं निकल सका था। इसके कारण भारत ने खुद को इस समझौते की बात चीत से पिछले साल चार नवंबर को अलग कर लिया था।शेष बचे 15 देशों ने आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।
इन देशों ने कहा है कि समझौते में भारत के लिये दरवाजे खुले रहेंगे।
अब जिन देशों ने आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, उनमें आसियान देशों (इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया) तथा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
आरसीईपी में भारत की भागीदारी के बारे में मंत्रियों की घोषणा के अनुसार, ‘‘ भारत यदि आरसीईपी समझौते को स्वीकार करने के अपने इरादे का लिखित रूप में एक अनुरोध प्रस्तुत करता है, तो उसकी नवीनतम स्थिति तथा इसके बाद होने वाले किसी भी बदलाव को ध्यान में रखते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश किसी भी समय बातचीत शुरू कर सकते हैं।’’
मंत्रियों की यह घोषणा 11 नवंबर की है।
घोषणा में कहा गया है कि समझौते के लागू होने की तारीख से यह भारत के लिये खुला है। यह भी कहा गया है कि किसी भी समय इसमें शामिल होने से पहले भारत एक पर्यवेक्षक के नाते आरसीईपी की बैठकों में शामिल हो सकता है।
घोषणा के अनुसार, 2012 से ही आरसीईपी बातचीत में भारत की भागीदारी तथा क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखला को विस्तृत व मजबूत बनाने में एक क्षेत्रीय भागीदार के रूप में भारत की रणनीतिक महत्ता को देखते हुए समझौते में भारत के शामिल होने का स्वागत किया जायेगा।
आसियान देशों, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के राष्ट्राध्यक्षों ने चौथे आरसीईपी शिखर सम्मेलन के मौके पर 15 नवंबर 2020 को आभासी माध्यम से बैठक की।
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