कांग्रेस का आरोप- मोदी सरकार की मदद से भागा मेहुल चोकसी, एंटीगा से आई रिपोर्ट में हुआ साफ
By भाषा | Published: August 3, 2018 06:25 PM2018-08-03T18:25:43+5:302018-08-03T18:25:43+5:30
एंटीगुआ के अखबार डेली ऑब्जर्वर ने ‘सिटीजनशिप बाइ इन्वेस्टमेंट यूनिट ऑफ एंटीगुआ एंड बारबूडा’ के एक बयान के हवाले से बताया कि मई 2017 में एंटीगुआ में नागरिकता के लिए चोकसी के आवेदन के साथ स्थानीय पुलिस से मंजूरी भी दी गई थी। चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में दो अरब डॉलर के घोटाले के कथित मास्टरमाइंड में से एक है और वह भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी का रिश्तेदार भी है।
नई दिल्ली, तीन अगस्त: एंटीगा ने दावा किया कि जब कैरेबियाई देश ने 2017 में मेहुल चोकसी को नागरिकता देने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की जांच की थी तब भारतीय एजेंसियों ने उसे बताया था कि भगोड़े अरबपति के खिलाफ कोई मामला नहीं है। कांग्रेस ने शुक्रवार को मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि एंटीगा की तरफ से आई रिपोर्ट से साफ होता है कि मोदी सरकार की मदद से ही मेहुल चोकसी को भागने में मदद मिली है। मीडिया में एंटीगा अथॉरिटी की तरफ से आई जानकारी के बाद पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही है।
सुरजेवाला ने कहा, 'पहले लूट करवाना और फिर उन्हें भगाना मोदी सरकार नीति बन गई है। एंटीगा अथॉरिटी की तरफ से हुए खुलासे से साफ होता है कि कैसे मोदी सरकार ने इस मेगा स्कैम निष्क्रियता दिखाई।' सुरजेवाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब इस साल अप्रैल में पीएम मोदी एंटीगा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्रॉन से मिल रहे थे तो उन्होंने यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया?
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्रालय ने भी चोकसी को क्लीन चिट दी, जबकि उसके खिलाफ शिकायतें थीं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'सीबीआई या ईडी ने मेहुल चोकसी के खिलाफ वॉरंट के लिए इंटरपोल की तरफ रुख क्यों नहीं किया या फिर चोकसी के खिलाफ धोखाधड़ी के मामलों की जानकारी क्यों नहीं दी?'
निवेश से संबद्ध नागरिकता देने के लिए जिम्मेदार एंटीगुआ के निकाय ने चोकसी के मामले में मंजूरी देने वाली भारतीय एजेंसी में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का भी नाम लिया। हालांकि सेबी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसे कभी ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला और ना ही उसने एंटीगुआ में सक्षम प्राधिकार को ऐसी कोई सूचना दी।
एंटीगुआ के अखबार डेली ऑब्जर्वर ने ‘सिटीजनशिप बाइ इन्वेस्टमेंट यूनिट ऑफ एंटीगुआ एंड बारबूडा’ के एक बयान के हवाले से बताया कि मई 2017 में एंटीगुआ में नागरिकता के लिए चोकसी के आवेदन के साथ स्थानीय पुलिस से मंजूरी भी दी गई थी। चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में दो अरब डॉलर के घोटाले के कथित मास्टरमाइंड में से एक है और वह भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी का रिश्तेदार भी है।
खबर में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, मुंबई से मिले पुलिस मंजूरी प्रमाणपत्र के अनुसार मेहुल चीनूभाई चोकसी के खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं है जो उन्हें एंटीगुआ और बारबूड़ा के लिए वीजा समेत यात्रा सुविधाएं देने के अयोग्य ठहराता हो।’’ इसमें कहा गया है कि द्वीपीय देश के अधिकारियों ने इंटरपोल समेत वैश्विक एजेंसियों से चोकसी के बारे में व्यापक छानबीन की थी कि कहीं उनके खिलाफ किसी भी अपमानजनक सूचना का कोई मामला तो नहीं है।
खबर के मुताबिक, जांच के तौर पर एंटीगुआ प्रशासन को 2014 और 2017 में चोकसी की कंपनियों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई के दो मामलों के बारे में पता चला तथा उसने उनसे और जानकारी मांगी थी। सेबी ने कैरिबियाई प्रशासन को बताया था कि एक मामला बंद कर दिया गया है और दूसरे मामले में पर्याप्त सबूत नहीं थे। हालांकि भारतीय नियामक ने आज एक बयान जारी कर इन दावों को खारिज किया।
सेबी ने कहा, ‘‘सेबी को एंटीगुआ की सिटिजनशिप बाय इनवेस्टमेंट यूनिट से किसी भी जांच पर जानकारी के लिए ना तो कोई अनुरोध मिला और ना ही उसने सीआईयू को ऐसी कोई सूचना दी।’’ एंटीगुआ की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिटीजनशिप फ्रॉम इन्वेस्टमेंट यूनिट ने कहा कि अगर नागरिकता के आवेदन के समय चोकसी के खिलाफ कोई वारंट होता तो इंटरपोल इसके बारे में बताता और यह राष्ट्रीय आपराधिक डेटाबेस में भी होता है।
चोकसी इस साल चार जनवरी को भारत से भाग गया था और उसने 15 जनवरी को एंटीगुआ में शरण ली थी। नवंबर 2017 में उसे एंटीगुआ की नागिरकता मिल चुकी थी।
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