कबाड़ बेचकर केंद्र सरकार ने एक महीने में कमाए 362 करोड़ रुपये
By शरद गुप्ता | Published: November 4, 2022 06:26 PM2022-11-04T18:26:52+5:302022-11-04T18:37:49+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने अक्टूबर महीने में चले विशेष स्वच्छता अभियान के दौरान कबाड़ को बेचकर 362 करोड़ रुपया का लाभ अर्जित किया है।
दिल्ली: केंद्र सरकार ने आय का एक नया संसाधन ढूंढते हुए पिछले एक महीने के दौरान केवल कबाड़ बेचकर 362 करोड़ रुपया कमा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने एक महीने तक चले विशेष स्वच्छता अभियान के दौरान अपने अधिकार क्षेत्र में पड़े हुए कबाड़ को बेचकर यह कमाई की है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अभी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है कि कबाड़ को बेचने से इकट्ठा की गई धनराशि को किस मद में खर्च किया जाएगा।
इस संबंध में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि एक महीने तक चले विशेष स्वच्छता अभियान के दौरान 99633 जगहों की सफाई की गई। करीब 54.5 लाख फाइलों खंगाला गया और 4.36 लाख लंबित मामलों को निपटारा किया गया। इस सफाई अभियान के दौरान कबाड़ हटने से 88.05 लाख वर्ग फिट जगह खाली हो गई। कबाड़ बेचने से 362 करोड़ रुपये का लाभ हुआ सो अलग।
जानकारी के मुताबिक बेचे गये कबाड़ में अधिकांशतः कागज और प्लास्टिक के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान थे। इस अभियान के दौरान रेल मंत्रालय ने बेंगलुरु रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक की खाली बोतलों से बना राक्षस बनाकर प्लास्टिक से होने वाले खतरों के बारे में लोगों को जागरूक किया तो वहीं आंध्र प्रदेश में गुंटुर रेलवे स्टेशन पर एक पुराने रेल डिब्बे में सुंदर रेस्टोरेंट खोल दिया गया।
इतना ही नहीं बंदरगाह और जल यातायात मंत्रालय ने कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह पर कबाड़ हो चुके जहाज को सजाकर क्रूज में तब्दील कर दिया। अब इस पर एक म्यूजियम फ्लोटिंग रेस्टोरेंट और कॉन्फ्रेंस हॉल बनाया जा रहा है। वहीं आणविक ऊर्जा मंत्रालय ने मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की नालियां और सीवर साफ करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
हर वर्ष मनेगा स्वच्छता माह
केंद्र सरकार हर वर्ष गांधी जयंती के उपलक्ष्य पर अक्टूबर महीने को स्वच्छता माह के रूप में मना रही है। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी माना कि संभव है इस स्वच्छता माह को सफल बनाने के लिए सरकारी विभाग कई महीनों से इस कबाड़ को जमा करते रहे हों।