केंद्र ने न्यायालय से कहा, वोडाफोन को दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में जाने से रोकने की हकदार

By भाषा | Updated: December 8, 2020 22:28 IST2020-12-08T22:28:34+5:302020-12-08T22:28:34+5:30

Center told the court, entitled to stop Vodafone from going to international arbitration for the second time | केंद्र ने न्यायालय से कहा, वोडाफोन को दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में जाने से रोकने की हकदार

केंद्र ने न्यायालय से कहा, वोडाफोन को दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में जाने से रोकने की हकदार

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा भारत- नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते (बीआईपीए) के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया का चाहे जो भी परिणाम हो वह दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को कर मांग के संबंध में भारत के खिलाफ दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में मामले को ले जाने से रोकने की राहत पाने की हकदार है।

केंद्र सरकार ने कंपनी की ओर से भारत-नीदरलैंड और भारत-ब्रिटेन बीआईपीए के तहत भारत के खिलाफ शुरू किये गये दो अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों को एक साथ मिलाने की अनुमति देने के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपनी अपील को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करने का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि वह अपील पर एक आदेश पारित करेगी। पीठ ने संकेत दिया कि वह केंद्र को बाद में अपील को फिर से पुनर्जीवित करने का विकल्प देगी।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, ‘‘अपील को अनिश्चित काल के लिये स्थगित रहने दें। हमारे मामले में, हमारे अनुसार, फैसला होना चाहिये। वे हमारे माथे पर भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते (बीआईपीए) की बंदूक लगाकर यह नहीं कह सकते हैं कि आपको ऐसा करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि भारत-ब्रिटेन बीआईपीए के तहत मध्यस्थता शुरू करना प्रक्रिया का दुरुपयोग और कानून के तहत अवैध है।

वोडाफोन का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील अनुराधा दत्त ने कहा कि कंपनी भारत-ब्रिटेन बीआईपीए के तहत दूसरी मध्यस्थता पर तब तक आगे नहीं बढ़ेगी, जब तक कि भारत-नीदरलैंड बीआईपीए के फैसले को खारिज नहीं किया जाता।

एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने सितंबर में फैसला सुनाया था कि भारत सरकार ने पूर्वव्यापी कानून का उपयोग करके वोडाफोन से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग की। यह भारत और नीदरलैंड के बीच द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत ‘निष्पक्ष और न्यायसंगत उपचार की गारंटी का उल्लंघन’ था।

उच्च न्यायालय ने 17 नवंबर को केंद्र को जवाब देने के लिये समय दिया था कि क्या वह भारत-नीदरलैंड बीआईपीए मध्यस्थता फैसले को चुनौती देगी।

हालांकि, सरकार की ओर से इस पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है।

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Web Title: Center told the court, entitled to stop Vodafone from going to international arbitration for the second time

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