'अंतरिम बजट' जैसा भारतीय संविधान में कोई शब्द नहीं, जानें कैसे हुई शुरुआत, दिलचस्प है इतिहास

By पल्लवी कुमारी | Published: January 27, 2019 08:03 AM2019-01-27T08:03:38+5:302019-01-27T11:43:22+5:30

भारतीय बजट का इतिहास (History of Union Budget): अंतरिम बजट और पूर्ण बजट को लेकर हमेशा लोगों के मन में दुविधा बनी रहती है।

Budget History: interim budget history in India, What is interim budget | 'अंतरिम बजट' जैसा भारतीय संविधान में कोई शब्द नहीं, जानें कैसे हुई शुरुआत, दिलचस्प है इतिहास

फाइल फोटो

हमेशा बजट को लेकर लोगों के मन में ये दुविधा बनी रहती है कि आखिर अंतरिम बजट और पूर्ण बजट क्या है? देखने और सुनने वालों को भी समझ में नहीं आता कि इसमें अंतर क्या है, क्योंकि ये पेश भी एक ही तरीके से होता है। अंतरिम बजट का इतिहास जानने के पहले आइए हम ये जान लें कि आखिर पूर्ण बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है।

क्या होता है अंतरिम बजट

अंतरिम बजट को हम को वोट ऑन अकाउंट, लेखानुदान मांग और मिनी बजट के नामों से भी जानते हैं। मोटे तौर पर समझा जाए तो जिस साल लोकसभा चुनाव होता है, उस साल सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। चुनाव के बाद नई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है। यानी जो पूरे एक साल के लिए हो।

वोट ऑन अकाउंट के जरिए सरकार को सीमित समय के लिए संसद से मंजूरी मिलती है। इसमें तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी कार्यों के लिए राजकोष से धन लेने का प्रस्ताव होता है। इसके पीछे का तर्क ये है कि जब सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा हो तो वो अगले पूरे साल के लिए घोषणाएँ नहीं कर सकती क्योंकि चुनाव बाद नई सरकार भी बन सकती है। ऐसे में मौजूदा सरकार अगली सरकार पर अपने वित्तीय फैसले और बजट को लाद नहीं सकती है। हालांकि भारतीय संविधान में अंतरिम बजट जैसा कोई शब्द नहीं है।

2014 में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पेश किया था अंतरिम बजट

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2014 में फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था। इसके बाद में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सरकार बनने के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया था। 

अंतरिम बजट का इतिहास 

स्वतंत्र भारत का पहला बजट आर के षड्मुगम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था। आर के षड्मुगम चेट्टी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री थे। हालांकि ये पूर्ण रूप से बजट नहीं था बल्कि देश की आर्थिक नीति और अर्थव्यवस्था की समीक्षा थी। इस बजट में ना तो कोई नए नियम लागू किए गए और ना ही कोई नई टैक्स प्रणाली लागू की गई, क्योंकि साल 1948-1949 के बजट में केवल 95 दिन ही बचे हुए थे। 

इसके बाद जब वह आजाद भारत का दूसरा बजट साल 1948-1949 के लिए पेश कर रहे थे तो उन्होंने कहा, स्वतंत्र भारत का अंतरिम बजट कुछ दिनों पहले पेश किया गया था। इसी के बाद से अंतिरम बजट नाम का जुमला निकल गया और तब से लेकर आजतक वो चला आ रहा है। इसी वक्त से तब से कम महीनों या कम अवधि के बजट के लिए इस शब्द का इस्तेमाल शुरु हुआ।

बजट पेश करने के कुछ ही दिनों के भीतर आर के षड्मुगम चेट्टी ने दिया था इस्तीफा 

- 1948-1949 का बजट पेश करने के बाद आर के षड्मुगम चेट्टी ने कुछ दिनों में वित्तमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसा कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नेहरू से मतभेदों के कारण चेट्टी ने त्याग पत्र दिया था। 

- इसके बाद केसी नियोगी को वित्तमंत्री बनाया गया लेकिन वह इस पद पर सिर्फ 35 दिन रहे।

-  इसके बाद जॉन मथाई भारत के तीसरे वित्तमंत्री बने और उन्होंने 1949-50 और 1950-51 में दो बजट पेश किए। 1950-51 वाला बजट हमारे देश के संविधान लागू होने के बाद का पहला बजट भी बना। 

- जॉन मथाई के बाद अगले वित्तमंत्री सीडी देशमुख बने। सी.डी. देशमुख ने वयस्क मताधिकार के आधार पर पहले निर्वाचित संसद में पहला बजट पेश किया था। उन्होंने 1951-52 में अंतरिम बजट पेश किया। सीडी देशमुख वित्तमंत्री होने के साथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर भी थे। 

- इसके बाद 1959 में मोरारजी देसाई भारतीय वित्तमंत्री बने।  

English summary :
People is anxious to know the difference between the Interim Budget and General Budget (Aam Budget). Along with the history of the interim budget, here is the difference between the full budget and the interim budget. Narendra Modi Government will be presenting an interim budget on February 1.


Web Title: Budget History: interim budget history in India, What is interim budget

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