लाइव न्यूज़ :

साल 2018 में बैंकिंग क्षेत्र का ये रहा हाल, NPA-इस्तीफों का बोलबाला

By भाषा | Published: December 26, 2018 3:17 PM

अदालतों, न्यायाधिकरणों और अन्य मंचों द्वारा फंसी परिसंपत्तियों की वसूली के लिये किये गये प्रयास के बावजूद बैंक क्षेत्र की एनपीए की समस्या लगातार बढ़ती रही। यही नहीं, ऋण भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के प्रवर्तकों ने भी परिसंपत्ति के लिये दावा किया और उपयुक्त मंचों पर ऋण अदायगी की पेशकश भी की। 

Open in App

बैंक क्षेत्र के लिये साल 2018 बहुत परेशानियों भरा रहा है। इस दौरान, धोखाधड़ी करने वाले या भगुतान में चूक करने वाले कर्जदार देश छोड़कर फरार हो गये। कई बैंक के शीर्ष अधिकारियों को अपना पद छोड़ना पड़ा। साल के आखिर तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने भी इस्तीफा दे दिया। 

अदालतों, न्यायाधिकरणों और अन्य मंचों द्वारा फंसी परिसंपत्तियों की वसूली के लिये किये गये प्रयास के बावजूद बैंक क्षेत्र की एनपीए की समस्या लगातार बढ़ती रही। यही नहीं, ऋण भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के प्रवर्तकों ने भी परिसंपत्ति के लिये दावा किया और उपयुक्त मंचों पर ऋण अदायगी की पेशकश भी की। 

साल 2018 देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी के साथ शुरू हुआ। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की। 

नीरव मोदी के मामले में परतें खुल ही रही थी कि मार्च में एक व्हिसल ब्लोवर ने आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक रहीं चंदा कोचर के खिलाफ शिकायत की। कोचर पर वीडियोकॉन समूह को दिए गए कर्ज में एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने तथा हितों के टकराव के आरोप हैं। अक्टूबर में चंदा कोचर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस मामले में आंतरिक और नियामकीय जांच अभी चल रही है।

एक और शीर्ष बैंक अधिकारी शिखा शर्मा को भारतीय रिजर्व बैंक से झटका मिला। आरबीआई ने एक्सिस बैंक की प्रबंध निदेशक पद पर उनके कार्यकाल विस्तार को मंजूरी देने से मना कर दिया था। 

कुछ ऐसी ही कहानी यस बैंक के साथ भी हुयी। आरबीआई ने बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर का कार्यकाल घटाकर 31 जनवरी 2019 कर दिया। 

हालांकि, इस साल का सबसे बड़ा इस्तीफा खुद आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल का रहा। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुये 10 दिसंबर को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में, गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की समस्या के खिलाफ जंग जारी है। हालांकि स्थिति सामान्य होने में काफी समय लगेगा।

सरकारी बैंक का सकल एनपीए मार्च में उच्चतम स्तर पर था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में सकल एनपीए करीब 23,860 करोड़ रुपये कम होकर 8,71,741 करोड़ रुपये रह गया। मार्च 2018 के अंत में यह 8,95,601 करोड़ रुपये था। 

टॅग्स :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए)बिज़नेसभारत सरकार
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारIndian Bank: उच्च ऋण वृद्धि के जरिए बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता, फिच रेटिंग्स ने कहा- साख महत्वपूर्ण

कारोबारSpice Products Import Guidelines: मसाला उत्पाद को लेकर हंगामा, हांगकांग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट को किया बैन, ईटीओ ने जारी किया गाइडलाइन, पढ़िए

कारोबारPetroleum Marketing Company BPCL: पांच साल में 1.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश, बीपीसीएल ने कहा- इन क्षेत्र में परियोजना शुरू करने की योजना, देखिए सूची

कारोबारHindu-Muslim population 1950-2015: मुसलमानों की आबादी में 43.15, जैन समुदाय घटकर 0.36 प्रतिशत, हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी, रिपोर्ट में कई खुलासे

भारतLok Sabha Election 2024: बाप रे बाप!, TDP के पेम्मासामी के पास 5705 करोड़ रु की संपत्ति, जानें CM जगन की बहन शर्मिला के पास क्या?

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारIndeed Layoffs: लोगों को नौकरी ढूंढने में मदद करने वाली करियर साइट इनडीड में होगी छंटनी, 1,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना

कारोबारGold Price Today 14 May 2024: सोने की कीमत में आई गिरावट, जानें आपके शहर में क्या है रेट

कारोबारIndia Artificial Intelligence AI: 2027 तक तीन गुना बढ़कर 5 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान, इंटेल-आईडीसी रिपोर्ट ने कहा- 2023 में एआई पर 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च

कारोबारललित गर्ग का ब्लॉग: प्रवासी कामगारों से मजबूत होती अर्थव्यवस्था

कारोबारShare Market Close: चौथे चरण की वोटिंग से शेयर बाजार में आई आंधी, सेंसेक्स 111 अंक उछला, निफ्टी में भी बढ़त