त्योहारी के अलावा डीओसी की स्थानीय मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

By भाषा | Updated: August 1, 2021 12:30 IST2021-08-01T12:30:08+5:302021-08-01T12:30:08+5:30

Apart from the festival, local demand of DOC increased due to increase in oil-oilseeds prices last week. | त्योहारी के अलावा डीओसी की स्थानीय मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

त्योहारी के अलावा डीओसी की स्थानीय मांग बढ़ने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, एक अगस्त विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच त्योहारी मांग के साथ-साथ तेल रहित खलों की भारी स्थानीय और निर्यात मांग से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशों के अलावा स्थानीय स्तर पर पॉल्ट्री वालों की सरसों, मूंगफली, सोयाबीन सहित विभिन्न खाद्य तेलों के तेल रहित खल की भारी स्थानीय मांग है। इस साल गत वर्ष के मुकाबले डीओसी के निर्यात में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे डीओसी की कमी पैदा हुई है। डीओसी की भारी मांग को देखते हुए समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन दाने की किल्लत के कारण इसके तेल-तिलहनों के भाव में रिकॉर्ड तेजी है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर सोयाबीन तेल का भाव सरसों से लगभग पांच रुपये किलो नीचे रहता था, लेकिन समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन तेल के भाव सरसों से लगभग 25 रुपये किलो अधिक चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते सोयाबीन डीओसी का भाव 8,000-8,300 रुपये क्विन्टल के बीच चल रहा था जो समीक्षाधीन सप्ताहांत में बढ़कर कोटा में 9,200 रुपये और छत्तीसगढ़ में 9,600 रुपये क्विन्टल हो गया है। इसी प्रकार मूंगफली डीओसी की भारी मांग के कारण भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव पर्याप्त मजबूत हो गये।

उल्लेखनीय है कि सोयाबीन से तेल की प्राप्ति लगभग 18 प्रतिशत की होती है, जबकि सरसों से तेल प्राप्ति 40-42 प्रतिशत की होती है। सोयाबीन की भारी मांग के कारण सरसों की कीमत समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन से 25 - 26 रुपये किलो नीचे हो गई जबकि आमतौर पर सरसों के भाव सोयाबीन से पांच- छह रुपये किलो अधिक ही हुआ करते हैं।

शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी होने की वजह से विदेशों में सोयाबीन डीगम का भाव 1,280 डॉलर से बढ़कर 1,352 डॉलर प्रति टन हो गया।

सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था हाफेड, नाफेड और अन्य संस्थाओं ने पिछले साल जुलाई से दिसंबर के दौरान लगभग 18-20 लाख टन सरसों की बिक्री की थी, क्योंकि किसानों से माल खरीदने के कारण इन संस्थाओं के पास स्टॉक जमा था लेकिन मौजूदा वर्ष में इन संस्थाओं के पास स्टॉक भी नहीं है। तेल मिलों के पास थोड़ा बहुत स्टॉक छोड़कर व्यापारियों के पास भी कोई स्टॉक नहीं है। सरसों की अगली फसल के आने में लगभग सात महीने का समय है और इसका कोई विकल्प भी नहीं है। त्योहार का मौसम नजदीक है और मांग बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अगली बिजाई के लिए सरसों बीज का अभी से इंतजाम करने के लिए हाफेड और नाफेड को बाजार भाव पर सरसों की खरीद कर उसका स्टॉक बनाने का निर्देश जारी करना चाहिये।

बिजाई के लिए जिस तरह से सोयाबीन बीज की दिक्कत हुई, वह सरसों के मामले में न हो। इस बार किसानों को जो समर्थन मिला है उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि आगामी सत्र में सरसों का उत्पादन लगभग दोगुना बढ़ जायेगा।

सूत्रों का मानना है कि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए सरकार को डीओसी के निर्यात पर एक नवंबर तक के लिए रोक लगा देनी चाहिये।

विदेशों में तेजी के अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ त्योहारी और शादी-विवाह की मांग के कारण भी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखा।

सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज में तेजी रहने और पामोलीन के आयात पर लगी रोक को समाप्त किये जाने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताह में पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुए। अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों के मौसम की मांग है जो आगे और बढ़ने ही वाली है।

सूत्रों ने कहा कि भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 70 प्रतिशत भाग का आयात करता है और इसके लिए भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च की जाती है। खाद्य तेल की कमी को देखते हुए इसे पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कोई ठोस विकल्प नहीं है, इसलिए सरकार को आयात शुल्क में घट बढ़ करने के बजाय तेल-तिलहन उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा और यही सही संकटमोचक साबित हो सकता है।

बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 50 रुपये का लाभ दर्शाता 7,775-7,825 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 7,725-7,775 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 250 रुपये बढ़कर 15,550 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।

सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 30 रुपये और 15 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 2,530-2,580 रुपये और 2,615-2,725 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 1,000 रुपये और 925 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 10,025-10,050 रुपये और 9,725-9,825 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड), सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 100 रुपये, 200 रुपये और 300 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 15,150 रुपये, 15,050 रुपये और 13,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

मूंगफली डीओसी की भारी स्थानीय मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना 400 रुपये के सुधार के साथ 6,245-6,390 रुपये, मूंगफली गुजरात 200 रुपये सुधरकर 14,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 30 रुपये के सुधार के साथ 2,235-2,365 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 350 रुपये के सुधार के साथ 11,750 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। देश में पामोलीन का आयात खोले जाने के बाद पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल का भाव भी क्रमश: 230 और 100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 13,580 रुपये और 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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Web Title: Apart from the festival, local demand of DOC increased due to increase in oil-oilseeds prices last week.

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