अनिल अग्रवाल की 'वेदांता' ने साल 2023 में राजनीतिक दलों को दिया 155 करोड़ रुपये का चंदा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 25, 2023 02:15 PM2023-06-25T14:15:34+5:302023-06-25T14:19:48+5:30
अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने मार्च 2023 के समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को 155 करोड़ रुपये का दान दिया है।
दिल्ली: अरबपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड ने मार्च 2023 के समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को 155 करोड़ रुपये का दान दिया है। इस बात की जानकारी स्वयं कंपनी ने अपने नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में जारी की है।
कंपनी की ओर से जारी 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि फर्म द्वारा अप्रैल 2021 से मार्च 2022 द्वारा दिए गए 123 करोड़ रुपये से अधिक था। पिछले पांच वर्षों में वेदांता समूह ने चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को कुल 457 करोड़ रुपये का दान दिया है।
वेदांता ने वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसने वित्त वर्ष 2022-23 में 160 करोड़ रुपये का दान दिया। इनमें 155 करोड़ रुपये चुनावी बांड के माध्यम से दिया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में समूह द्वारा कुल दान 130 करोड़ रुपये का था, जिसमें चुनावी बांड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये दिये गये थे। रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक दलों को दिया गया दान वेदांता के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के साल 2022-23 में खर्च किये गये 112 करोड़ रुपये और पिछले वर्ष से 37 करोड़ रुपये से अधिक था।
वेदांता का जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए समूह द्वारा बनाए गए दर्जन भर से अधिक इलेक्टोरल ट्रस्टों में से एक है। चुनावी ट्रस्टों के मालिक अन्य कॉरपोरेट्स में टाटा का प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट, रिलायंस समूह का पीपुल्स इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती समूह का सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट, एमपी बिड़ला समूह का परिवर्तन इलेक्टोरल ट्रस्ट और केके बिड़ला समूह का समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन शामिल हैं। बजाज और महिंद्रा समूह के भी अपने-अपने चुनावी ट्रस्ट हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार मार्च 2018 से अप्रैल 2023 के बीच 26 चरणों में 12,979 करोड़ रुपये के कुल 22,641 चुनावी बांड बेचे गए। इस अवधि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा 12,955 करोड़ रुपये के 22,458 बांड भुनाए गए। चुनावी बांड के कुल मूल्य का लगभग 28 फीसदी अकेले साल 2019 के दो महीनों मार्च और अप्रैल के आम चुनावों की अवधि में खरीदा गया था। इसके साथ ही एडीआर ने यह भी बताया था कि चुनावी बांड के जरिये सत्तारूढ़ भाजपा को ही सबसे अधिक दान मिला है।