विदेश में तेजी के कारण सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधरे
By भाषा | Updated: November 10, 2021 21:39 IST2021-11-10T21:39:56+5:302021-11-10T21:39:56+5:30

विदेश में तेजी के कारण सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधरे
नयी दिल्ली, 10 नवंबर विदेशी बाजारों में तेजी के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहन के भाव लाभ के साथ बंद हुए। बाकी अन्य तेल-तिलहनों के भाव पूर्ववत बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में 1-10 नवंबर के बीच पामतेल का निर्यात बढ़ने से मलेशिया एक्सचेंज में 2.75 प्रतिशत की तेजी रही। शिकॉगो एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी है।
उन्होंने कहा कि सूरजमुखी तेल पर रूस ने निर्यात शुल्क में 82 डॉलर प्रति टन की वृद्धि की है जो दिसंबर से लागू होगी। इस वजह से बाकी तेल-तिलहनों के भाव में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी के कारण यहां सोयाबीन तेल-तिलहनों के भाव में सुधार रहा। बिनौला तेल के मुकाबले मूंगफली तेल के दाम 15 रुपये प्रति किलो महंगा होने से बिनौला तेल में सुधार आया है जबकि मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर रहे।
उन्होंने कहा कि विदेशी बाजारों के तेज होने की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ और पामोलीन के भाव में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि खुदरा तेल मिलों की मांग बढ़ने से खुदरा मिलों की मांग एक लाख बोरी से बढ़कर लगभग एक लाख 10 हजार बोरी हो गयी। किसान मंडियों में अपना माल सीमित मात्रा में रोक-रोक कर ला रहे हैं। इससे सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल देश में सरकारी खरीद एजेंसियों के पास जुलाई में सरसों का 23-24 लाख टन का स्टॉक था लेकिन चालू वर्ष इन एजेसियों ने कोई नहीं खरीद नहीं की और सरकार को 8-10 लाख टन का स्टॉक बनाकर रखने की जरूरत है क्योंकि सरसों का और कोई विकल्प नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से सस्ता खाद्य तेल ग्राहकों को उपलब्ध कराना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकार को तेल-तिलहनों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने के बारे में सोचना चाहिये क्योंकि इससे देश के किसानों, उपभोक्ताओं और तेल उद्योग में किसी को भी कोई फायदा नहीं है। उन्होंने कहा कि वायदा बाजार का उपयोग नयी तिलहन फसल आने पर दाम तोड़कर किसानों को सस्ते में अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करने के लिए किया जाता है और बाद में इन्हीं फसलों का दाम बढ़ा दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि आयात शुल्क से प्राप्त धन का उपयोग सरकार गरीब जनता को पीडीएस के माध्यम से सस्ता तेल उपलब्ध कराने के लिए कर सकती है।
बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 8,605 - 8,630 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली - 6,000 - 6,085 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,550 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,985 - 2,110 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 17,325 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,650 -2,690 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,740 - 2,850 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 16,700 - 18,200 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,850
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,900 रुपये।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,750 रुपये।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,680 (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन दाना 5,500 - 5,600, सोयाबीन लूज 5,300 - 5,400 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।
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