एजेंसियां भारत की साख का निर्धारण व्यक्तिपरक नहीं, पारदर्शी तरीके से करें : समीक्षा

By भाषा | Updated: January 29, 2021 17:41 IST2021-01-29T17:41:21+5:302021-01-29T17:41:21+5:30

Agencies should determine India's credibility in a transparent, not subjective way: Review | एजेंसियां भारत की साख का निर्धारण व्यक्तिपरक नहीं, पारदर्शी तरीके से करें : समीक्षा

एजेंसियां भारत की साख का निर्धारण व्यक्तिपरक नहीं, पारदर्शी तरीके से करें : समीक्षा

नयी दिल्ली, 29 जनवरी वैश्चिक रेटिंग एजेंसियों द्वारा तय की जाने वाली भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को नहीं दर्शाती है। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है।

समीक्षा में रेटिंग एजेंसियों को सलाह दी गई है कि वे भारत की वित्तीय साख का स्तर व्यक्तिपरक की जगह पारदर्शी तरीके से करें।

समीक्षा में कहा गय है कि सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग के तरीके में बदलाव किया जाना चाहिए और इसमें अर्थव्यवस्था की अपनी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता और इच्छा को दर्शाया जाना चाहिए।

समीक्षा दस्तावेज में कहा गया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग के तरीके में बदलाव के लिए एक-साथ आना चाहिए।

समीक्षा में कहा गया है, ‘‘सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जबकि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को निवेश ग्रेड (बीबीबी-/बीएए3) की रेटिंग दी गई है। सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद को नहीं दर्शाती है। लेकिन अस्पष्ट और पक्षपातपूर्ण क्रेडिट रेटिंग से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफपीआई) के प्रवाह को नुकसान पहुंचता है।’’

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि विभिन्न देश क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से उनके रेटिंग प्रदान करने के तरीके में सुधार को लेकर बातचीत करें। रेटिंग से किसी अर्थव्यवस्था की अपनी विदेशी कर्ज प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता और इच्छा का संकेत मिलना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि रेटिंग में भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद पर ध्यान नहीं दिये जाने से पूर्व में देश की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में बदलावों का चुनिंदा सेंसेक्स, विदेशी विनिमय दर और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के प्रतिफल असर नहीं दिखे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Agencies should determine India's credibility in a transparent, not subjective way: Review

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