एनपीए के चलते ग्राहकों तक नहीं पहुंचा ब्याज दरों में कटौती का लाभ: रिजर्व बैंक
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 6, 2018 10:23 AM2018-04-06T10:23:09+5:302018-04-06T10:23:09+5:30
रिजर्व बैंक लंबे समय से इस बात की शिकायत कर रहा है कि बैंक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रहे हैं।
मुंबई, 6 अप्रैल। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि कि नोटबंदी के बाद बैंकों की जमा में वृद्धि हुई थी जिसका लाभ ग्राहकों को ब्याज दरों में कटौती के रुप में मिला था लेकिन बढ़ते फंसे कर्ज( गैर- निष्पादित आस्तियां) की वजह से बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ जनता तक नहीं पहुंचा पाए हैं।
बता दें कि रिजर्व बैंक लंबे समय से इस बात की शिकायत कर रहा है कि बैंक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रहे हैं। जनवरी, 2015 से केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में कटौती शुरू की थी। उस समय से ही केंद्रीय बैंक कह रहा है कि मौद्रिक समीक्षा का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है।
इसके अलावा डेटा सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पेमेंट ऑपरेटर्स को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसमें पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट भी शामिल होंगे। आम बजट के बाद मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा करते हुए आरबीआई की एक कमेटी ने ये निर्देश जारी किए।
पेमेंट ऑपरेटर्स को सारा डेटा भारत में ही स्टोर करने के लिए 6 माह की मोहलत दी है। इस अवधि में उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि उनके सिस्टम में मौजूद उपभोक्ताओं का सारा डेटा भारत में ही है। आरबीआई के इस कदम का असर पेटीएम समेत कई पेमेंट सिस्टम पर पड़ेगा।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीवी कानूनगो ने एक बयान में कहा, 'आरबीआई ने पाया है कि कुछ पेमेंट ऑपरेटर्स डेटा स्टोर करने के लिए भारत से बाहर के पार्टनर का सहारा ले रहे हैं। आज से यह अनिवार्य किया जा रहा है कि सभी पेमेंट ऑपरेटर्स अपना सारा डेटा भारत में ही रखें। जनता का भरोसा बहुत महत्वपूर्ण है।' इस संबंध में एक हफ्ते के अंदर विस्तृत नोटिफिकेशन जारी किए जाएंगे।