Zakir Hussain: कौन थे तबला वादक जाकिर हुसैन?, 73 साल के उम्र में अमेरिका में निधन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 16, 2024 10:00 IST2024-12-16T09:43:18+5:302024-12-16T10:00:46+5:30
WHO WAS Zakir Hussain: हुसैन के मित्र और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने रविवार को यह जानकारी दी थी।

WHO WAS Zakir Hussain
WHO WAS Zakir Hussain Passes Away: तबला वादक जाकिर हुसैन का रविवार 15 दिसंबर को अमेरिका में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। 15 दिसंबर 2024 को निधन हो गया। महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनायी है। हृदय संबंधी समस्याओं के बाद अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। हुसैन के मित्र और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने रविवार को यह जानकारी दी थी।
#ZakirHussain, one of the world’s most transcendent musicians, has passed away at the age of 73 - confirms Jon Bleicher of Prospect PR, representing the family. pic.twitter.com/Hkrm5xkrqK
— ANI (@ANI) December 16, 2024
In the passing away of Tabla exponent, Ustad Zakir Hussain, India and the world has lost a musical genius, and a cultural ambassador who bridged borders and generations with his mesmerising rhythms.
The Padma Vibhushan Tabla maestro and percussionist, gloriously took forward the… pic.twitter.com/cSTm6MZeMh— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 16, 2024
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। सिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया, उनके परिवार ने सोमवार को यह जानकारी दी।
परिवार ने एक बयान में कहा कि हुसैन की मृत्यु फेफड़े से संबंधी ‘‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वह 73 वर्ष के थे। हुसैन पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को हुआ था।
परिवार ने पुष्टि की है कि वह सैन फ्रांसिस्को में दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती थे। तबला वादक की इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई। हुसैन की प्रबंधक निर्मला बचानी ने बताया कि अमेरिका में रह रहे 73 वर्षीय संगीतकार को रक्तचाप की समस्या थी। हुसैन ने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं, तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे।
जहां उनके प्रशंसक और जानी-मानी हस्तियां उनकी मौत पर शोक मना रहे हैं, वहीं जाकिर की आखिरी इंस्टाग्राम पोस्ट ने भी सभी का ध्यान खींचा है। अक्टूबर में, ज़ाकिर ने खुलासा किया कि वह अमेरिका में शरद ऋतु का मौसम बिता रहे थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने पोस्ट को कैप्शन दिया, 'बस एक अद्भुत पल साझा कर रहा हूं।'
उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं। परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा।’’
छह दशकों के अपने करियर में, हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच ‘विक्कू’ विनायकराम के साथ 1973 में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज संगीत के तत्वों के संलयन को काफी सराहा गया।
हुसैन ने मात्र सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया था और आगे चलकर उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों सहित भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित संगीत कलाकारों के साथ काम किया। यो-यो मा, चार्ल्स लॉयड, बेला फ्लेक, एडगर मेयर, मिकी हार्ट और जॉर्ज हैरिसन जैसे पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके अभूतपूर्व संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया। हुसैन ने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे।
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में ‘पद्म श्री’, 2002 में ‘पद्म भूषण’ और 2023 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। हुसैन के निधन के बारे में जानकारी मिलते ही मशहूर हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने दिग्गज तबला वादक को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के बिना संगीत की दुनिया अधूरी रह जाएगी। उनके परिवार, दोस्तों और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना। मेरी प्रार्थनाएं, ओम शांति।’’ महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख प्रकट किया और कहा कि देश ने अपने प्रिय तबलावादक और सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया। राधाकृष्णन ने कहा कि हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत में ऐसा नाम बन गए थे जिन्हें घर-घर में पहचाना जाता है।
राज्यपाल ने कहा कि उनके जाने से संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘उनके निधन से भारत, खास तौर पर महाराष्ट्र ने अपने प्रिय तबलावादक और सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया है। उस्ताद जाकिर हुसैन का संगीत अमर रहेगा, जो संगीतकारों की पीढ़ियों को कुछ नया करने और उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करेगा।
मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।’’ हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा, ‘‘प्रसिद्ध तबला वादक ‘पद्म भूषण’ उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर दुखद है। जाकिर हुसैन भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक के रूप में जाने जाते थे, वह एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे।’’
पवार ने कहा, ‘‘उन्होंने भारतीय संगीत के एक वाद्य यंत्र तबला को विश्व पटल पर स्थापित किया... कला जगत के एक दिग्गज का आज निधन हो गया।’’ ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार रिकी केज ने हुसैन को उनकी ‘‘अत्यंत विनम्रता, मिलनसार स्वभाव’’ के लिए याद किया। केज ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारत के अब तक के सबसे महान संगीतकारों और व्यक्तित्वों में से एक।
खुद को इस मुकाम तक पहुंचाने के साथ-साथ, जाकिर जी को कई संगीतकारों के करियर को नयी ऊचाइयों तक पहुंचाने के लिए जाना जाता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह कौशल और ज्ञान का खजाना थे और हमेशा सहयोग तथा अपने कामों के जरिए पूरे संगीत जगत के लोगों को प्रोत्साहित करते थे। अपने पीछे एक विरासत छोड़ गए हैं और उनकी छाप पीढ़ियों तक रहेगी। वह हमें बहुत जल्दी छोड़कर दुनिया से चले गए।’’ अमेरिकी ‘ड्रमर’ नैट स्मिथ ने कहा कि हुसैन जी ‘‘आपने हमें जो भी संगीत दिया’’ उसके लिए धन्यवाद।