खलनायक और कॉमेडियन दोनों के रोल में मशहूर कादर खान बेहद सफल संवाद लेखक भी थे इसकी कम ही चर्चा होती है। कादर खान को डायलॉग राइटर के तौर पर ब्रेक हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने दिया था।
राजेश खन्ना की रोटी (1974) फिल्म में पहली बार कादर खान ने डायलॉग लिखे। फिल्म के निर्देशक थे मनमोहन देसाई। कहा जाता है कि अपनी पहली ही फिल्म के लिए संवाद लेखक के तौर पर कादर खान को एक लाख बीस हजार रुपये मिले थे। उस जमाने के हिसाब से यह बहुत बड़ी राशि थी।
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल में हुआ था। लम्बी बीमारी के बाद एक जनवरी 2019 को उन्होंने कनाडा के एक अस्पताल में अंतिम साँस ली।
कादर खान ने राजेश खन्ना की महाचोर, छैला बाबू, धरम कांटा, फिफ्टी फिफ्टी, नया कदम, मास्टरजी और नसीहत जैसी फिल्मों के डायलॉग लिखे।
कादर खान ने राजेश खन्ना के अलावा अमिताभ बच्चन और जितेंद्र जैसे स्टार की भी हिट फिल्मों के डायलॉग लिखे थे।
कादर खान ने अमिताभ बच्चन की कुली, देश प्रेमी, सुहाग, परवरिश और अमर अकबर एंथोनी जैसी फिल्मों के डायलॉग लिख थे। अमिताभ बच्चन की अग्निपथ और नसीब फिल्म की पटकथा भी लिखी थी।
कादर खान ने जितेंद्र की हिम्मतवाला, जानी दोस्त, सरफरोश, जस्टिस चौधरी, फर्ज और कानून, जियो और जीने दो, तोहफ, कैदी और हैसियत जैसी फिल्मों के संवाद लिखे थे।
कादर खान को मेरी आवाज सुनो फिल्म के लिए 1982 में सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का पुरस्कार मिला था। उन्हें 1993 में दोबारा अंगार फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।
अपने फिल्मी करियर की शुरुआत में कादर खान को ज्यादातर निगेटिव शेड्स के रोल करने को मिलते थे लेकिन उनकी दूसरी पारी में वो ज्यादातर हास्य भूमिकाओं में नजर आये। एक्टर गोविंदा की ज्यादातर सुपरहिट कॉमेडी फिल्मों में कादर खान जरूर रहते थे।
कादर खान को 1991 में बाप नंबरी बेटा दस नंबरी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ट कॉमेडी एक्टर का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। कादर खान को अभिनय के लिए सात बार फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।