मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि महिलाएं कब सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करेंगी : विद्या बालन

By अनुभा जैन | Updated: August 23, 2024 15:17 IST2024-08-23T15:16:29+5:302024-08-23T15:17:47+5:30

कार्यक्रम कर्नाटक में बुनकरों और कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था. विद्या ने कार्यक्रम में फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉयश्री दास वर्मा, बैंगलूरू चैप्टर की फ्लो अध्यक्ष डॉ. नुपुर हांडा के साथ होटल ताज वेस्टेंड में फिक्की फ्लो महिला विंग बेंगलुरु चैप्टर की अन्य महिला सदस्यों के साथ खुलकर बातचीत की।

Vidya Balan says I always wonder when women will feel safe and free | मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि महिलाएं कब सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करेंगी : विद्या बालन

मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि महिलाएं कब सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करेंगी : विद्या बालन

बेंगलुरु: हमें भारत की बुनाई का जश्न मनाने और अपनी हथकरघा विरासत पर गर्व महसूस करने की आवश्यकता है. हम हथकरघा परिधानों को अधिक उपयोग करें और इन परिधानों के माध्यम से अपनी विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है. लोगों को इन कारीगरों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उनकी आजीविका बनी रहे. इसलिए, हमें अपने कारीगरों और बुनकरों का समर्थन करना शुरू करना चाहिए. यह बात अभिनेत्री विद्या बालन ने फिक्की फ्लो के "स्टारडम का ताना-बाना- विद्या बालन" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही. 

कार्यक्रम कर्नाटक में बुनकरों और कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था. विद्या ने कार्यक्रम में फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉयश्री दास वर्मा, बैंगलूरू चैप्टर की फ्लो अध्यक्ष डॉ. नुपुर हांडा के साथ होटल ताज वेस्टेंड में फिक्की फ्लो महिला विंग बेंगलुरु चैप्टर की अन्य महिला सदस्यों के साथ खुलकर बातचीत की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉयश्री दास वर्मा थीं।

हमेशा से एक अभिनेत्री बनने की चाह रखने वाली मजाकिया, सहज, मुस्कुराती विद्या काले परिधान में बेहद खूबसूरत लग रही थीं। एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढी विद्या घर पर हर दूसरी भारतीय लड़की की तरह ही हैं, जो चाहती है कि उसका परिवार उसे प्यार करे। विद्या ने इस बात पर जोर दिया कि हर महिला को साड़ी पहननी चाहिए क्योंकि यह एक महिला को स्वयं का होने का अहसास कराने के साथ आत्मविश्वासी और उत्तम दर्जे का महसूस कराती है। किसी भी बॉडी साइज का होने पर साड़ी में महिला को फिट होने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता।

फिक्की फ्लो कार्यक्रम के दौरान फिक्की फ्लो सदस्य जर्नलिस्ट डॉ. अनुभा जैन से बात करते हुए कि वह अपने निभाय पात्र शकुंतला देवी के चरित्र के कितनी करीब हैं, विद्या ने हंसते हुए जवाब दिया, "मैं शकुंतला देवी की तरह बिल्कुल नहीं हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि मैंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से महिलाओं की भूमिकाएँ निभाई हैं। किसी भी चरित्र को निभाने के लिए मुझे स्वयं को, मै जैसी हूं को छोड़ना पड़ता है।"  

उन्होंने आगे कहा, "हर फिल्म के लिए मैंने खूब तैयारी की और मुझे वह प्रक्रिया बहुत पसंद आई, जहां मैं उस पेशे के लोगों से मिली, जिसकी भूमिका मैं निभाती थी। हर फिल्म में अभिनेता निर्देशक की नजर में जीते हैं। जैसे फिल्म 'पा' में गर्भवती महिला बनने के लिए मैंने एक गायनेक्लॉजिस्ट से मुलाकात की और गर्भवती महिला के चलने और जीवन जीने के तरीके के बारे में सीखविद्या ने कहा कि हर महिला या इंसान अलग होता है और यही खूबसूरती है."

फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉयश्री दास वर्मा द्वारा पूछे जाने पर, अब तक निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिकाओं जिसमे उन्हें एक अभिनेत्री के रूप में चुनौती दी, के सवाल का जवाब देते हुए विद्या ने कहा, मैंने जो दो बायोपिक निभाईं, उनमें से एक डर्टी पिक्चर्स और दूसरी शकुंतला देवी है। इन फिल्मों के किरदार जीवित व्यक्ति थे और इन किरदारों को निभाने के बाद मुझे बहुत स्वतंत्र महसूस हुआ है। मैं बॉडी शेमिंग से भी गुजरी। 

डर्टी पिक्चर के जरिए मुझे एहसास हुआ कि हम कभी भी अपने लिए पर्याप्त नहीं होते। मुझे नहीं पता कि यह विचारधारा कब बदलेगी। इस फिल्म को करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि शरीर के आकार का आपके खुद के बारे में महसूस करने के तरीके से कोई लेना-देना नहीं है। यह मुक्तिदायक है। इसके बाद मैंने कई तरीकों से अपने शरीर की सराहना और आनंद लेना शुरू कर दिया। 

शंकुतला देवी की एक पंक्ति ने मुझे बहुत प्रेरित किया "जब अद्भुत हो सकती हूँ तो नॉर्मल क्यों बनूँ।" हर एक महिला अद्भुत है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। कोलकाता डॉक्टर बलात्कार मामले के बारे में बात करते हुए विद्या ने कहा कि जो हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि महिलाएँ कब सुरक्षित महसूस करेंगी और पीछे मुड़कर नहीं देखेंगी कि कोई खतरा नहीं है। 

उन्होंने कहा कि जो लोग अपराध करना चाहते हैं वे तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक उन्हें अंदर से यह एहसास नहीं हो जाता कि यह गलत है। हमारे आस-पास जो हो रहा है या हम स्क्रीन पर जो देखते हैं वह समाज का प्रतिबिंब है। जावेद अख्तर की पंक्तियों को दोहराते हुए विद्या ने कहा कि समाज ही फिल्मों को भ्रष्ट करता है, फिल्में समाज को भ्रष्ट नहीं करतीं।

जब लोकमत प्रतिनिधी और फिक्की फ्लो सदस्य डॉ. अनुभा ने फिक्की फ्लो की राष्ट्रीय अध्यक्ष जॉयश्री दास वर्मा से कार्यक्रम के विषय की प्रासंगिकता के बारे में पूछा, जो पूरी तरह से कर्नाटक के कारीगरों और बुनकरों पर आधारित था, तो जॉयश्री दास ने कहा, "हमें अपनी विरासत को जारी रखने के लिए अपने हस्तशिल्प, हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना होगा।" 

उन्होंने कहा कि हमें इन कारीगरों और बुनकरों को अपस्किलिंग, अपस्केलिंग और बाजार का प्लेटफॉर्म देने की दिशा में काम करने की जरूरत है। साथ ही, युवा पीढ़ी को प्रेरित करना है ताकि वे इस हस्तशिल्प, हथकरघा उद्योग को आगे ले जाएं और इसे पहनना पसंद करें। यह कार्यक्रम हमारे हथकरघा और हस्तशिल्प वस्त्र पहल का हिस्सा है, जहां हम इस उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हथकरघा को बढ़ावा देते हैं क्योंकि हजारों कारीगरों की आजीविका इस पर निर्भर करती है।

कार्यक्रम में विशेष प्रतिष्ठानों और स्टॉलों पर कर्नाटक की बुनाई और हथकरघा का प्रदर्शन किया गया, जिसे फ्लो की राष्ट्रीय हथकरघा और हस्तशिल्प टीम द्वारा क्यूरेट किया गया था। इस अवसर पर, फिक्की फ्लो महिला विंग बेंगलुरु चैप्टर ने कारीगरों के समूह 'ए हंड्रेड हैंड्स' के साथ कोलेबरेशन किया।

Web Title: Vidya Balan says I always wonder when women will feel safe and free

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