Flashback 2019: बॉलीवुड के लिए यह साल रहा खास, जाति-वर्ग-लिंग व शिक्षा पर आधारित फिल्मों का रहा जोर

By भाषा | Updated: December 27, 2019 20:38 IST2019-12-27T20:38:56+5:302019-12-27T20:38:56+5:30

साल 2019 में जाति विभाजन, महिला सशक्तीकरण के अलावा शिक्षा के महत्व को दर्शाने वाली फिल्मों ने भी सुर्खियां बटोरीं। इस दौरान गंजापन और गोरे रंग के प्रति आकर्षण जैसे मुद्दों को भी हिंदी सिनेमा में प्रमुखता से जगह मिली।

The year 2019 was special for Bollywood, Emphasis on films based on caste-class-gender and education | Flashback 2019: बॉलीवुड के लिए यह साल रहा खास, जाति-वर्ग-लिंग व शिक्षा पर आधारित फिल्मों का रहा जोर

Flashback 2019: बॉलीवुड के लिए यह साल रहा खास, जाति-वर्ग-लिंग व शिक्षा पर आधारित फिल्मों का रहा जोर

Highlightsइस साल जोया अख्तर की ‘गली बॉय’ सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही।

हिंदी फिल्मों के लिए 2019 का वर्ष खास रहा और इस दौरान आम आदमी से जुड़े विभिन्न मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। जाति विभाजन, महिला सशक्तीकरण के अलावा शिक्षा के महत्व को दर्शाने वाली फिल्मों ने भी सुर्खियां बटोरीं। इस दौरान गंजापन और गोरे रंग के प्रति आकर्षण जैसे मुद्दों को भी हिंदी सिनेमा में प्रमुखता से जगह मिली।

इस साल ‘बाला’, ‘आर्टिकल 15’, ‘सांड की आंख’, ‘गली बॉय’ जैसी फिल्में आयीं जो विभिन्न विषयों पर केंद्रित थीं। इस साल जोया अख्तर की ‘गली बॉय’ सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही जिसमें रणवीर सिंह ने मुंबई की मलिन बस्तियों के एक युवा की भूमिका निभायी जो सड़क पर रैप के जरिए अपना गुस्सा जताता है। इस फिल्म में आलिया भट्ट भी हैं।

इस फिल्म में अमीर और गरीब के बीच के विभाजन को खूबसूरती से दर्शाया गया। अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘आर्टिकल 15’ में भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी जाति प्रथा को उजागर किया गया। इसमें आयुष्मान खुराना ने एक आदर्शवादी पुलिस अधिकारी की भूमिका निभायी और फिल्म से जातिवाद पर फिर से बहस शुरू हो गयी।

खुराना ने ‘बाला’’ में भी अभिनय किया जो समय से पहले बालों के झड़ने और आत्म-विश्वास पर प्रभाव के आधारित थी। उन्होंने दर्शकों को मुद्दों पर आधारित फिल्मों को स्वीकार करने का श्रेय दिया। उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा कि हमारे पास हमेशा ऐसे कलाकार होते हैं जो सामाजिक रूप से जिम्मेदार होते हैं।

ऐसी फिल्मों को समानांतर सिनेमा नाम दिया गया और अब वे अच्छी कमाई कर रही हैं, यह एक व्यापक बदलाव है। उन्होंने कहा कि वह इस बदलाव का श्रेय दर्शकों को देते हैं। साल की प्रमुख हिट फिल्मों में से एक ‘कबीर सिंह’ भी थी जिसकी कुछ लोगों ने आलोचना भी की।

इसी बीच ‘सांड की आंख’ भी आयी जिससे विपरीत विमर्श को बल मिला। भूमि पेडनेकर और तापसी पन्नू अभिनीत यह फिल्म ‘‘शूटर दादी’’ चंद्रो और प्रकाशी तोमर की जीवनी पर आधारित थी। अभिनेत्री ऋचा चड्ढा के अनुसार फिल्मों में धारणा बदलने की शक्ति होती है।

उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘फिल्में एक प्रभावशाली माध्यम हैं। लेकिन समाज को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ सिनेमा की ही नहीं है। यह हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों और देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि वे अपनी ओर से प्रयास करें।’’ इस साल ऋतिक रोशन अभिनीत ‘सुपर 30’ भी आयी जो बिहार के आनंद कुमार पर के जीवन पर आधारित थी।

कुमार अपने गृह नगर में पिछड़े और वंचित छात्रों के लिए एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं। इस फिल्म से शिक्षा के महत्व पर चर्चा हुयी। निर्देशक विकास बहल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद यह फिल्म विवादों से घिर गई थी लेकिन फिल्म कमाई के लिहाज से सफल रही।

सोनम कपूर की मुख्य भूमिका वाली ‘एक लडकी को देखा तो ऐसा लगा’ समलैंगिकता विषय पर केंद्रित थी। हालांकि एक तबके ने इसकी आलोचना भी की और आरोप लगाया कि फिल्म ने इस विषय को रूढ़िवादी तरीके से पेश किया। साल के अंत में रानी मुखर्जी की ‘मर्दानी 2’ और ‘गुड न्यूज़’’ आदि फिल्में आयीं जिनमें अलग अलग विषयों को उजागर करने का प्रयास किया गया। भाषा अविनाश नीरज नीरज

Web Title: The year 2019 was special for Bollywood, Emphasis on films based on caste-class-gender and education

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