Saand Ki Aankh: स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए भूमि पेडनेकर ने सीएम केजरीवाल को दिया धन्यवाद, मनीष सिसोदिया भी आए नजर
By ज्ञानेश चौहान | Updated: October 23, 2019 15:58 IST2019-10-23T15:58:29+5:302019-10-23T15:58:29+5:30
फिल्म 'सांड की आंख' तुषार हीरानंदानी ने डायरेक्शन में बनी है। इस फिल्म को आने वाले शुक्रवार यानि कि 25 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा।

Saand Ki Aankh: स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए भूमि पेडनेकर ने सीएम केजरीवाल को दिया धन्यवाद, मनीष सिसोदिया भी आए नजर
बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने अपनी आने वाली फिल्म 'सांड की आंख' की स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शुक्रिया अदा किया। भूमि ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो शेयर करके अपनी खुशी जाहिर की। स्पेशल स्क्रीनिंग में केजरीवाल के साथ उनका परिवार और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी नजर आए।
भूमि ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, '#SaandKiAankh को देखने, शाम को इतना खास बनाने के लिए और अपने परिवार के साथ आने के लिए @arvindkejriwal सर को धन्यवाद!"
रियल लाइफ पर आधारित है यह फिल्म
तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) स्टारर फिल्म 'सांड की आंख' (Saand Ki Aankh) बागपत की चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर पर आधारित है। रियल लाइफ में इन दोनों महिलाओं ने निशानेबाजी में मुकाम हासिल किया था। शूटर चंद्रो और प्रकाशी के जीवन पर आधारित इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण को बखूबी तरीके से पेश किया गया है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है।
25 अक्टूबर को होगी रिलीज
फिल्म 'सांड की आंख' तुषार हीरानंदानी ने डायरेक्शन में बनी है। इस फिल्म को आने वाले शुक्रवार यानि कि 25 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा। खास बात ये है कि इस फिल्म में विनीत सिंह और प्रकाश झा भी नजर आने वाले हैं। इस फिल्म की शूटिंग फरवरी में बागपत में शुरू हुई थी। हस्तिनापुर और मवाना में भी फिल्म के कुछ हिस्सों को फिल्माया गया है।
फिल्म की कहानी
जोहरी गांव बागपथ की रहने वाली प्रकाशी तोमर और चंद्रो तोमर जो अपने घर परिवार को पूरी तरह से जी रही हैं। उनके परिवार में महिलाओं को बाहर जाने की इजाजत नहीं है। दोनों दादियों की जिंदगी केवल घर का काम बच्चे संभालना और खेत देखना है। उनके मर्दो को परेशानी ना और वह उनको पहचान सकें इसलिए वह अलग अलग रंग दुप्पटे पहनती हैं। सख्त नियमों में प्रकाशी और चंद्रो ने आधी उम्र निकाल दी है। लेकिन फिर वह चाहती हैं जैसी उनकी जिंदगी है वैसी उनकी बेटी या पोतियों की ना हो। लेकिन बेटियों और पोतियों की राह बनाते बनाते खुद प्रकाशी और चंद्र एक दिन शूटर दादी बन जाती हैं। इसके बाद कहानी में कई तरह के उतार चढा़व जाते हैं।