पंडित रविशंकर की सौवीं जयंती : पत्नी ने बताया प्यार से परिपूर्ण इंसान

By भाषा | Published: April 6, 2020 09:47 PM2020-04-06T21:47:14+5:302020-04-06T21:47:14+5:30

सौवीं जयंती से पहले पीटीआई को दिए साक्षात्कार में सुकन्या ने कहा, ‘‘मैं हमेशा उन्हें शानदार, सुंदर, संवेदनशील, दयालु, देखभाल करने वाले और बहुमुखी प्रतिभा का धनी मानती थी और वह संत प्रकृति के संगीतकार थे।’’

Remembering Pandit Ravi Shankar A man in love with love itself | पंडित रविशंकर की सौवीं जयंती : पत्नी ने बताया प्यार से परिपूर्ण इंसान

(फोटो सोर्स- ट्विटर)

Highlightsपंडित रविशंकर का निधन दिसम्बर 2012 में हुआ और सुकन्या ने महान संगीतकार के साथ बिताए लम्हों को याद किया। वह सितार की धुन को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने का श्रेय अपने पति को देती हैं।

सितारवादक पंडित रविशंकर की मंगलवार को सौवीं जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी पत्नी सुकन्या शंकर ने उन्हें शानदार, सुंदर, संवेदनशील, दयालु, देखभाल करने वाले और बहुमुखी प्रतिभा के धनी जैसे कई विशेषणों से विभूषित किया। पंडित रविशंकर का निधन दिसम्बर 2012 में हुआ और सुकन्या ने महान संगीतकार के साथ बिताए लम्हों को याद किया। वह सितार की धुन को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने का श्रेय अपने पति को देती हैं। उनकी सौवीं जयंती से पहले पीटीआई को दिए साक्षात्कार में सुकन्या ने कहा, ‘‘मैं हमेशा उन्हें शानदार, सुंदर, संवेदनशील, दयालु, देखभाल करने वाले और बहुमुखी प्रतिभा का धनी मानती थी और वह संत प्रकृति के संगीतकार थे।’’

उनकी जयंती मनाने के लिए ‘रविशंकर शताब्दी कंसर्ट’ की योजना बनाई गई थी जिसमें उनकी बेटियां नोरा जोन्स और अनुष्का शंकर हिस्सा लेने वाली थीं। बहरहाल, कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। सुकन्या ने अपने दिवंगत पति को ‘‘प्यार से परिपूर्ण’’ व्यक्ति बताया। 63 वर्षीय सुकन्या ने याद किया कि जब वह नौ वर्ष की थीं तो पहली बार उन्हें सितार बजाते देखा था और आठ वर्ष बाद दोनों ने एक साथ मंच पर प्रस्तुति दी। उन्होंने लंदन के अपने घर से ई-मेल के माध्यम से दिए गए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने चेन्नई स्थित संगीत अकादमी में उन्हें नौ वर्ष की छोटी अवस्था में देखा था।

हालांकि मुझे हिंदुस्तानी संगीत की समझ नहीं थी जो वह बजा रहे थे लेकिन मैं प्रभावित थी।’’ आठ वर्ष बाद लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में 1972 में दोनों ने एक साथ प्रस्तुति दी। सुकन्या 17 वर्ष की थीं और रविशंकर 52 वर्ष के थे। रविशंकर की भतीजी विजी उनकी दोस्त थीं और सुकन्या खुद ही तानपुरा बजाती थीं। सुकन्या तब उन्हें काकू बुलाती थीं।

Web Title: Remembering Pandit Ravi Shankar A man in love with love itself

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